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Chhath Puja 2020: खरना होता है छठ पूजा के दूसरे दिन, जानिए क्या है इसका महत्व और पूजा की विधि

छठ पूजा का पर्व बुधवार को शुरु हो चुका है। नहाय-खाय छठ पूजा का पहला दिन होता है। खरना दूसरे दिन होता है। हिंदू धर्म के मुताबिक, कार्तिक मास के शुुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को छठ पूजा

छठ पूजा का पर्व बुधवार को शुरु हो चुका है। नहाय-खाय छठ पूजा का पहला दिन होता है। खरना दूसरे दिन होता है। हिंदू धर्म के मुताबिक, कार्तिक मास के शुुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को छठ पूजा का खरना मनाया जाता है। लोहंडा के नाम से भी खरना को जानते हैं। 
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विशेष महत्व छठ पूजा में इसका होता है। छठ पूजा के लिए खरना वाले दिन विशेष प्रसाद बनाते हैं। पूरे दिन व्रत खरना पर होता है। उसके बाद खीर का प्रसाद रात को खाते हैं। चलिए आपको बताते हैं कि इस साल खरना कब है और इसका महत्व क्या बताया गया है। 20 नवंबर शुक्रवार को छठ पूजा है। 18 नवंबर बुधवार को नहाय-खाय था। 
छठ पूजा का दूसरा दिन- खरना या लोहंडा
छठ पूजा का मुख्य पड़ाव खना नहाय-खाय के बाद आता है। गुरुवार 19 नवंबर को इस साल खरना है। सूर्योदय सुबह 6 बजकर 47 मिनट पर खरना या लोहंडा शुरु होगा और सूर्यास्त शाम 5 बजकर 26 मिनट पर यह समाप्त होगा। 
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खरना क्या है
खरना के पूरे दिन छठ पूजा का व्रत रखने वाले व्रती व्रत रखते हैं। फिर खीर प्रसाद के रूप में रात को खाते हैं। उसके बाद व्रत का पारण सूर्योदय को अर्घ्य देकर करते हैं और ध्यान रहे इस समय कुछ नहीं खाना और जल लेना होता है। मान्यता है कि शारीरिक और मानसिक शुद्धि की प्रक्रिया खरना एक प्रकार से होती है। इस दिन रात को भोजन के बाद कठिन व्रत अगले 36 घंटों तक रखते हैं। 
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छठ पूजा का प्रसाद खरना के दिन 
छठ पूजा का प्रसाद खरना के दिन बनाते हैं। गुड़ और चावल का खीर इसमें मनाते हैं। इसके अलावा पूड़ियां, खजूर, ठेकुआ भी इस दिन बनाते हैं। मौसमी फल और कुछ सब्जियां का भी पूजा में इस्तेमाल किया जाता है। छठी मैया को इस प्रसाद को व्रत रखने वाला व्यक्ति अर्पित करता है। 
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प्रसाद ग्रहण खरना के दिन करके वह अपना व्रत प्रारंभ करता है। इस बात का खास ध्यान छठ पूजा का प्रसाद बनाते समय रखना होता है। केवल आम की लकड़ियों का ही इस्तेमाल चूल्हे में आग के लिए होता है। संध्या का अर्घ्य खरना के बाद अगले दिन तथा उसके अगले दिन सूर्योदय का अर्घ्य देना बहुत जरूरी होता है। 

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