भगवान शिवजी का दिन सोमवार के दिन को कहा जाता है। ज्योतिषियों के मुताबिक यदि सोमवार के दिन जो भी भक्त पूरी श्रद्घा से भगवान शिवजी की पूजा-अर्चना करता है तो उस इंसान पर भगवान शिवजी की कृपा हमेशा बरसती रहती है।
वहीं यही वह दिन होता है जब किसी स्त्री या फिर पुरुष को 16 सोमवार व्रत करने की सलाह दी जाती है। मान्यता है कि श्रावण के महीने में लगातार 16 सोमवार के व्रत करने से भगवान शिवजी खुश होते हैं। तो चालिए आज हम आपके लिए भी लेकर आए हैं सोमवार के दिन व्रत करने की पौराणिक कथा।
माता पार्वती ने गुस्से में आकार दिया श्राप…
पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार भगवान शिवजी माता पार्वती के साथ मृत्यु लोक में घूम रहे थे। उसी जगह पर माता पार्वती ने शिव मंदिर देखा तो वह दोनों वहीं आ गए और फिर वहीं पर रहने भी लग गए। एक दिन कि बात है जब माता पार्वती ने भगवान शिवजी को चौसर खेलने को बोला था।
हुआ कुछ ऐसा कि तब वहां पर मंदिर का पुजारी भी आ गया। माता पार्वती ने पुजारी से पूछ लिया कि बताइए आप कौन विजयी होगा। पार्वती की इस बात का जवाब देते हुए पुजारी ने कहा कि शिवजी जीतेंगे। पुजारी की ये बात सुनकर माता पार्वती गुस्सा हो गई। लेकिन वह कुछ बोली नहीं थी।
खेल शुरू हुआ और माता पार्वती जीत भी गई। इस खेल को जीतने के बाद माता पार्वती ने पुजारी को श्राप देने का सोचा लेकिन शिवजी ने माता पार्वती को समझाया कि ऐसा करना उचित नहीं है। शिवजी ने माता पार्वती को बताया कि खेल में तो किसी भी हार या जीत हो सकती है। इसमें पुजारी की कोई गलती नहीं है। लेकिन माता पार्वती ने शिवजी की बात भी नहीं मानी और पुजारी को श्राप दे दिया। माता पार्वती ने पुजारी जी को कोढ़ से पीडि़त होने का श्राप दिया था।
पुजारी कोढ़ से पीडि़त भी हो गया। वहीं पुजारी मंदिर में एक अप्सरा आई उसने पुजारी को कोढ़ से पीडि़त देखा और पुजारी को सोलह सोमवार व्रत करने की सलाह दी। अप्सरा ने पुजारी को 16 सोमवार व्रत करने का विघि-विधान बताया। अप्सरा की बात सुनकर पुजारी ने 16 सोमवार के उपवास किए। जब माता पार्वती ने 16 सोमवार को व्रत रखने की बात को सुना तो वह काफी ज्यादा खुश हुई और इसी वजह से उन्होंने पुजारी के कोढ़ को खत्म कर दिया।