हिंदू शास्त्र में शंख की ध्वनि को शुभ माना गया है। शंख पूजा-पाठ में बजाया जाता है। शंख को आपने भगवान विष्णु के हाथों में भी देखा है। शंख को पांचजन्य के नाम से भी जाना जाता है। शंख के महत्व के बारे में ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि जल में शंख को रखें और उसे पर पानी छिड़कने से वातावरण शुद्ध बना रहता है। धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों रूप से शंख को अहम बताया गया है।
वैदिक कर्म कर्मकांड के अनुसार,शंख का विशेष महत्व पूजा-पाठ में माना गया है। आस-पास का वातावरण तो शंख की ध्वनि से शुद्ध होता ही है साथ में कई बीमारियां भी इसे रखने से दूर रहती हैं।
वास्तु और फेंगशुई में शंख और शंखनाद के रखने के कई सारे फायदे बताए गए हैं। वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि अगर आप शंख को नियमित तौर पर बजाते हैं तो सेहत अच्छी रहती है। शंख चाहे छोटा हो या बड़ा दोनों के बजाने से सेहत बेहतर रहती है। ऐसा कहा जाता है कि हृदय संबंधी परेशानियां शंख बजाने से दूर रहती हैं।
फेंगशुई में बताया गया है कि बहुत शुभ शंख को घर में रखना होता है। ऐसा कहा जाता है कि सुख-समृद्धि कार्यक्षेत्र में शंख को रखने से आती है। व्यवसाय-व्यापार में वृद्धि शंख को रखने से हो जाती है। भगवान बुद्ध के पैरों में 8 शुभ चिन्ह बने हुए हैं उसमें से एक शंख है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, कई तरह के जीवाणुओं-कीटाणुओं जो वातावरण में मौजूद होते हैं वह शंख की आवाज से मर जाते हैं। इस तरह के नतीजे कई शोध में पाए गए हैं।