इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। मकर संक्रांति का पर्व धार्मिक रूप से बहुत पवित्र माना जाता है। सूर्य का दक्षिणायन से उत्तरायण होना इस दिन शुभ मानते हैं। स्नान, दान-पुण्य इस दिन करते हैं। इसके अलावा खिचड़ी विशेष तौर पर इस दिन खाते हैं। चलिए जानते हैं मकर संक्रांंति के पर्व के बारे में कुछ खास बातें।
खिचड़ी दान और खाने की परंपरा मकर संक्रांति वाले दिन के पीछे भी एक रोचक कहानी है। बाबा गोरखनाथ भगवान शिव के अवतार हैं उनकी ही कहानी इसके पीछे है। नाथ योगियों को खिलजी के आक्रमण के दौरान समय नहीं मिलता था भोजन बनाने का। यही वजह थी कि अक्सर योगी भूखे रहते थे और वो कमजोर हो जाते थे।
बाबा गोरखनाथ ने इस समस्या को सुलझाले के लिए योगियों को सलाह दी कि वह दाल, चावल और सब्जी को एक साथ पका दें। पौष्टिक और स्वादिष्ट यह व्यंजन था। शरीर को तुरंत इस व्यंजन से ऊर्जा मिल जाती थी। हालांकि यह व्यंजन नाथ योगियों को पसंद भी बहुत आया।
खिचड़ी मेला मकर संक्रांति के दिन गोरखपुर स्थिति बाबा गोरखनाथ मंदिर के पास शुरु होता है। यह मेला काफी दिनों तक चलता है और बाबा गोरखनाथ को इस मेले में भोग खिचड़ी का लगाते हैं। साथ ही भक्तों में इसी खिचड़ी का प्रसाद मिलता है। एक दूसरा भी कारण है खिचड़ी दान और भोजन के पीछे का। दरअसल नया चावल भी मकर संक्रांति के समय पर तैयार हो जाता है। ऐसी मान्यता है कि सारे अन्न को सूर्य देव पकाते हैं साथ ही पोषित भी उन्हें करते हैं। सूर्य देव को आभार व्यक्त करने के लिए गुड़ से बनी खीर या खिचड़ी समर्पित करते हैं।
जो खिचड़ी मकर संक्रांति के दिन बनती है उसमें उड़द की दाल को इस्तेमाल किया जाता है। बता दें कि उड़त की दाल का संबंध शनि देव से है। मान्यता के अनुसार, शनि का कोप दूर इस दिन विशेष खिचड़ी खाने से दूर होता है। यही परंपरा है खिचड़ी खाने की मकर संक्रांति पर। वहीं वैज्ञानिक तौर पर खिचड़ी का सेवन मकर संक्रांति पर करने से सेहत को भी लाभ मिलता है। शरीर का तापमान सर्दियों में कम हो जाता है और शरीर को गर्म तिल और गुड़ करता है। इसलिए मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाई जाती है।