इस बार तुलसी विवाह 8 नवंबर को पड़ रहा है। देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह करने की परंपरा प्रचलित है। मान्यता है कि जिन लोगों के घर में कन्या सुख्स से वंचित होते हैं ऐसे लोग अगर इस दिन भगवान शालिग्राम से तुलसी जी का विवाह करें तो वह कन्या दान का फल जरूर प्राप्त कर सकते हैं। इस खास दिन से लोग सभी शुभ कार्यों की शुरूआत कर सकते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि तुलसी विवाह करने से शादीशुदा जीवन में खुशहाली आती है। तो चालिए जानते हैं आखिरकार कैसे करना है तुलसी विवाह…
1.तुलसी विवाह करते समय तुलसी का पौधा खुले में रखना चाहिए। आप छत्त,आंगन या खुले हुए पूजाघर आदि में रख सकते हैं। तुलसी विवाह के लिए आप पूरे मंडप को गन्ने से सजाएं।
2.तुलसी विवाह की रस्मों की शुरूआत करने से पहले तुलसी के पौधे पर लाल रंग की चुनरी ओढ़ा दें। इसके बाद तुलसी के गमले पर भगवान विष्णु के दूसरे स्वरूप यानी शालिग्राम को रखकर इसपर तिल समार्पित करें।
3.अब दूध में हल्दी भिगोकर तुलसी जी और भगवान शालिग्राम को अर्पित करें। ध्यान रखें तुलसी विवाह के वक्त मंगलाष्टक का पाठ करना ना भूलें।
4.अब आप तुलसी और शालिग्राम विवाह के वक्त तुलसी जी की परिक्रमा करें और फिर खाने के साथ तुलसी विवाह के प्रसाद को ग्रहण करें।
5.पूजा समाप्त हो जाने के बाद घर के सभी सदस्य शालिग्राम रूपी भगवान विष्णु से आराधना करें कि वो नींद से जाग जाएं और ऐसा कहें,उठो देव सांवरा,भाजी,बोर आंवला,गन्ना की झोपड़ी में,शंकर जी की यात्रा। इसका मतलब यह हुआ कि सांवले सलोने देव,भाजी,बोर,आंवला चढ़ाने के साथ हम यह चाहते हैं कि आप निंद्रा से जाग जाएं और अब सृष्टिï का कामकाज संभाल लें और शंकर जी को भी अपनी यात्रा के लिए अनुमति दें।