आज यानी 17 अक्टूबर को कररवाचौथ का पर्व मनाया जा रहा है। यह पर्व कार्तिक मास की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस बार व्रत का समय 13 घंटे 56 मिनट का है। इसके साथ ही करवा माता की पूजा के लिए भी 1 घंटे 16 मिनट का समय ही मिलेगा।
इस बार करवाचौथ पर खास संयोग बन रहा है। ज्योतिषियों के मुताबिक करवाचौथ पर इस बार रोहिणी नक्षत्र के साथ करीब 70 साल बाद मार्कंडेय योग बन रहा है। यह योग काफी ज्यादा शुभ है। करवाचौथ के दिन शिव,पार्वती,कार्तिकेय,गणेश जी की पूजा सबसे ज्यादा खास मानी जाती है।
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक इस दिन रोहिणी नक्षत्र का होना अद्भुत संयोग है। क्योंकि इस योग से कष्ट और दरिद्रता दूर होती है। 17 अक्टूबर की सुबह 6.48 बजे चतुर्थी प्रारंभ होगी। जो अगली सुबह 7.29 तक रहेगी। जानकारी के लिए बता दें कि बृहस्पतिवार दोपहर 3.23 बजे कृतिका नक्षत्र समाप्त होगा और रोहिणी नक्षत्र शुरू हो जाएगा।
ये है पूजा और चंद्रर्शन का समय…
पूजा का मुहूर्त शाम : 5:50 से 7:06
व्रत समय: सुबह 6:21 से रात 8:18 बजे तक
उपवास का समय : 13 घंटे, 56 मिनट है।
चांद निकलने का समय : 8:18 बजे
इन दोनों नक्षत्रों के साथ व्रत काफी ज्यादा शुभ है। इस दिन चंद्रमा वृष रािश में होगा। इस राशि के स्वामी शुक्र है। शुक्र को ज्योतिष शास्त्र में प्रेम और आकर्षण का कारक माना गया है इससे दंपति के रिश्ते में प्रेम और उत्साह बढ़ता है।
करवाचौथ के खास दिन पर शादीशुदा महिलाओं का 16 श्रृंगार का काफी ज्यादा महत्व होता है। सुबह सरगी ग्रहण करने के बाद पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर शाम को चांद को अघ्र्य देने और पति के हाथों जल ग्रहण करने के बाद ही महिलाओं को अपना व्रत पूर्ण करना चाहिए।