शनि एक शक्तिशाली ग्रह है। सामान्य रूप से कुंडली में शनि का नाम लेते ही डर की स्थिति पैदा हो जाती है। साढ़ेसाती,शनि ढैय्या और पनौती जैसे शब्द और भी भयभीत करने वाले हैं,मगर वास्तव में ऐसा कुछ भी नहीं है। जी हां दरअसल ज्योतिष में शनि एक क्रूर या पापी ग्रह जरूर है,लेकिन यह हमें हमारे कामों के मुताबिक फल देता है।
अगर कोई इंसान अच्छा काम करता है तो शनि के अच्छे फल उस व्यक्ति को प्राप्त होते हैं,जबकि गलत काम करने वाले को शनिमहाराज दंडित भी जरूर करते हैं। इस वजह से इन्हें कर्मफलदाता भी कहा जाता है।
1.शनि ग्रह ज्योतिष में
ज्योतिष शास्त्र में शनि नौ ग्रहों में से सातवां ग्रह है। शनि ग्रह को आयु,दुख,रोग,पीड़ा,विज्ञान,तकनीकी,लोहा,खनिज तेल,कर्मचारी,सेवक,जेल आदि का कारक माना जाता है। शनि की चाल सबसे धीमी है। बता दें कि शनि के गोचर का वक्त ढाई बरस होता है। मतलब यह एक राशि से दूसरी राशि में जाने का समय ढाई साल का होता है। शनि लगभग सभी राशियों को अपनी ढैय्या और साढ़ेसाती,गोचर,मार्गी और वक्री चाल से प्रभावित करता है।
2.शनि की राशियां
शनि ग्रह राशिचक्र की दो राशियों का मालिक है। मकर और कुंभ। इन दोनों राशियों के जातक शनि से ज्यादा प्रभावित होते हैं। जबकि शनि ग्रह की उच्च राशि तुला है और मेष राशि में यह नीच भाव में होता है।
3.ये है शनि के शत्रु ग्रह
सूर्य पुत्र शनि के मित्र ग्रहों में बुध और शुक्र आते हैं,जबकि सूर्य,चंद्रमा और मंगल,शनि के शत्रुओं की श्रेणी में आते हैं। वहीं गुरू को इसके समभाव का माना जाता है।
4.शनि के नक्षत्र
शनि पुष्य, अनुराधा और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का स्वामी होता है।
5.शनि के लिए रुद्राक्ष
सातमुखी रुद्राक्ष शनि ग्रह की शांति के लिए धारण किया जाता है।
जानकारी के लिए बता दें की शनि ग्रह की शांति के लिए धतूरे की जड़ी धारण की जाती है।