हॉन्ग कॉन्ग का महज 23 साल की उम्र का एक दुबला पतला लड़का जिसने उसके आंदोलन से चीन की ताकत को चुटाकियों में चुनौती दे डाली है। इसका नाम है जोशुआ वॉन्ग है। दरअसल हुआ कुछ यूं कि हॉन्ग कॉन्ग प्रशासन हाल ही में एक बिल लेकर आया था,जिसके अनुसार वहां के प्रदर्शनकारियों को चीन लाकर मुकदमा चलाने की बात करी थी।
लेकिन उसके बाद जो कुछ भी हुआ अब वह हॉन्ग कॉन्ग के ऊपर काफी भारी पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। जी हां क्योंकि वॉन्ग अपने समर्थकों के साथ सड़कों पर उतर गए है। हॉन्ग कॉन्ग की सड़कों पर पिछले कई दिनों से लाखों लोग प्रदर्शन करने में जुटे पड़े हैं। वहीं एयपोर्ट पर उड़ानें रद्द हो गई है।
क्योंकि बीते सोमवार के दिन प्रदर्शनाकरियों ने हॉन्ग कॉन्ग के प्रमुख एयरपोर्ट पर अपना हक जमा लिया था। इस वजह से एयपोर्ट से एक भी विमान नहीं उड़ान भर पाया। एयर इंडिया ने भी हॉन्ग कॉन्ग की अपनी सभी फ्लाइट्स कैंसल कर दी थी। इस प्रदर्शन में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हॉन्ग कॉन्ग में चीन के खिलाफ जारी इस भारी भरकम प्रदर्शन की अगुवाई वहां की युवा आबादी के दम पर हो रहा है।
चीन का जीना दुश्वार
युवा प्रदर्शनकारियों के झुंड ने महाशक्तिशाली चीन की नाक में दम किया हुआ है। दिलचस्प बात यह है कि प्रदर्शनकारियों के नेता सिर्फ 23 साल की उम्र के जोशुआ वॉन्ग ची-फंग हैं। उनकी पार्टी डोमेसिस्टो के ज्यादातर नेताओं की उम्र 20-25 साल के आसपास ही है। डोमेसिस्टो की अग्रिम पंक्ति के नेताओं में एग्नेश चॉ 22 साल जबकि नाथन लॉ 26 साल के हैं।
कौन हैं प्रदर्शनकारियों के नेता?
जोशुआ वॉन्ग ची-फंग हॉन्ग कॉन्ग में लोकतंत्र स्थापित करने वाले पार्टी डेमोसिस्टो के महासचिव हैं। इन्होंने राजनीति में कदम रखने से पहले स्टूडेंट ग्रुप स्कॉलरिजम की स्थापना करी थी। साल 2014 में वॉन्ग अपने देश में आंदोलन छेडऩे की वजह से दुनिया की नजरों में आए और अपने अंब्रेला मूवमेंट की वजह से प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका टाइम ने उनका नाम वर्ष 2014 के सबसे प्रभावी किशोरों में दर्ज किया। साल 2015 में फॉच्र्युन मैगजीन ने उन्हें दुनिया के महानतम नेताओं में शुमार किया। इतना ही नहीं वॉन्ग 22 साल की उम्र में 2018 के नोबेल पीस पुरस्कार के लिए भी नामित हो गए है।
कुछ इस तरह की है प्रदर्शनाकारियों की मांग
हॉन्ग कॉन्ग के युवाओं में तब से ज्यादा आक्रोश की लहर देखने को मिली जब यहां के प्रदर्शनकारियों को चीन में लाकर मुकदमा चलाने का विधेयक लाया। हॉन्ग कॉन्ग के युवाओं को ऐसा लगा कि चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी इस बिल के जरिए अपना दबदबा जमाना चाहती है।
इतना ही नहीं हॉन्ग कॉन्ग चीन का विशेष प्रशासनिक क्षेत्र कहलाता है। जबकि इस प्रदर्शन को देखते हुए हॉन्ग कॉन्ग की सरकार ने विधेयक वापस ले लिया। लेकिन प्रदर्शन फिर भी समाप्त नहीं हुआ है। क्योंकि प्रदर्शनकारी हॉन्ग कॉन्ग में ज्यादा लोकतांत्रिक अधिकारों की बहाली की मांग करने में लगे हुए हैं।