लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

13 दिसंबर के बाद से नहीं होंगी शादियां क्योंकि लग जाएगा खरमास, जानें इससे जुडी कुछ खास बातें

हिंदू पंचांग के अनुसार शरद ऋतु में एक महीने के लिए सभी शुभ कार्यों को ररोक दिया जाता है। इस महीने को खरमास कहते हैं।

हिंदू पंचांग के अनुसार शरद ऋतु में एक महीने के लिए सभी शुभ कार्यों को ररोक दिया जाता है। इस महीने को खरमास कहते हैं। इस साल16 दिसंबर से खरमास शुरू हो रहा है। यह मकर संक्राति यानी 14 जनवरी 2020 तक रहेगा। जबकि गुरु अस्त होने के  कारण बढ़ चले हैं इसी वजह से 13 दिसंबर के बाद से सभी मांगलिक  कार्य बंद हो जाएंगे। 
1576208297 surya dev
इस समय कोई शादी,मुंडन आदि कोई कार्य नहीं किया जा सकता है। ऐसा कहा जाता है कि खरमास में मांगलिक कार्य करने से उनका वंाछित फल प्राप्त नहीं हो पाता है। खरमास में सूर्य अपने गुरू बृहस्पति के घर धनु और मीन में प्रेवश करता है। तो आइए आपको बताते हैं खरमास में मांगलिक कार्यों के संपन्न न होने के पीछे ये कुछ मान्यताएं….
खरमास क्या है
सूर्य जब 12 राशियों का भ्रमण करते हुए बृहस्पति की राशियों धनु या मनी में प्रवेश करता है तब इसे खरमास कहा जाता है। खरमास साल में दो बार चैत्र और पूस में आता है। खरमास के पूरे महीने कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है जैसे मुंडन,विवाह,नवगृह प्रवेश आदि। 
सूर्य हो जाता है प्रभावहीन
खरमास के महीने को लेकर बहुत तरह की मान्यताएं हैं। सबसे पहली मान्यता के मुताबिक सूर्य अपने तेज को अपने गुरु के घर में पहुंचते ही समेट लेता है। साथ ही अपने प्रभाव को छिपा लेता है और गुरु को साष्टïांग नमन कर प्रभावहीन होने की वजह से सभी शुभ कार्य बंद हो जाते हैं,क्योंकि किसी भी कार्य में ऊर्जा की जरूरत होती है। 
1576208375 surya
इसलिए पड़ा खरमास नाम
इस महीने का नाम खरमास होने के पीछे एक कथा चली हुई आ रही है। सूर्यदेव अपने सात घोड़ों के रथ में भ्रमण कर रहे थे। घूमते-फिरते अचानक उनके घोड़े प्यास बुझाने के लिए तालाब के किनारे पानी पीने लगे। पानी पीते के साथ ही घोड़ों को अलस आ गया और तब से ही सूर्यदेव को स्मरण हुआ कि सृष्टिï के नियमानुसार उन्हें निरंतर ऊर्जावान होकर चलते रहने का आदेश है। 
घोड़ों के थक  जाने के बाद सूर्यदेव को तालाब के किनारे दो गधे नजर आए। इसके बाद सूर्यदेव उन गधों को अपने रथ में जोतकर वहां से चले गए। इस तरह सूर्यदेव इस पूरे महीने मंद गति से गधों की सवारी से चलते रहे। इस वक्त उनका तेज भी कम हो गया। इसके बाद मकर राशि में प्रेवश करने के समय एक महीने के बाद वो अपने सातों घोड़ोंं पर सवार हुए। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

five × 2 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।