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Sankashti Chaturthi: आज है कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी, यह व्रत भक्तों की सारी मुरादें करता है पूर्ण

संकट गणेश चौथ व्रत के रूप में कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी को कहते हैं। ज्येष्ठ महीने में यह हिंदू कैलेंडर के मुताबिक आती है। इस बार 8 जून सोमवार यानी आज कृष्ण पिंगला संकष्ट चतुर्थी है।

संकट गणेश चौथ व्रत के रूप में कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी को कहते हैं। ज्येष्ठ महीने में यह हिंदू कैलेंडर के मुताबिक आती है। इस बार 8 जून सोमवार यानी आज कृष्ण पिंगला संकष्ट चतुर्थी है। धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक पृथ्वी पर इस दिन गणेश जी अपनी उपस्थिति दर्ज सभी भक्तों के लिए कराते हैं। मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को जो भी व्यक्ति रखता है उनकी सारी मनचाही मुरादें पूरी हो जाती है। 
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ये है कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि 

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धार्मिक शास्त्रों में कहा गया है कि चंद्रमा के दर्शन कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी के दिन का विशेष महत्व होता है। इस दिन भक्त भगवान गणेश की पूजा के लिए सुबह जल्दी उठकर व्रत का संकल्प करते हैं। उसके बाद दूर्वा घास और ताजे फूलों से भगवान गणेश जी की मूर्ति को सजाते हैं। इसके बाद वैदिक मंत्रों का जप भगवान गणेश के सामने दीपक जलाकर करते हैं। फल और दूध से बनी चीजें शाम के समय चंद्रमा की पूजा करके, प्रसाद के रूप में इसे ग्रहण करते हैं। 
ये है कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त

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इसका शुभ मुहूर्त शाम को 6 बजकर 26 मिनट से शुरू है और 8 बजकर 52 मिनट तक रहेगा। पूजा के दौरान चंद्रदेव की पूजा के साथ भगवान गणेश के नाम का कृष्ण पिंगला महा गणपति जाप और श्रीगणपति अथर्वशीर्ष पाठ किया जाता है। जो व्यक्ति व्रत इस दिन रखते हैं उन्हें किसी विद्वान से इसको कैसे शुरू करना है और कब इसके बारे में जान लें। 
ये है कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी का महत्व

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भगवान गणेश जी की एक अलग नाम पीता के साथ कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी पर पूजा की जाती है। धार्मिक शास्त्रों में कहा गया है कि शिवजी ने सर्वोच्च देवता इस दिन भगवान गणेश जी को बताया था। मान्यताओं के मुताबिक भक्तों के जीवन में कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से दूर होती है। ऐसी मान्यता है कि जातक के जीवन में श‍िव की कृपा इस दिन रुद्राभिषेक या श‍िव की पूजा करने से बनी रहती है और जीवन में  सुख-समृद्धि भी बनी रहती है।

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