कोरोना वायरस को प्रकोप देखते हुए पिछले दो महीने से ज्यादा पूरे देश में लॉकडाउन लगा हुआ है। इस लॉकडाउन ने खाने की समस्या गरीब लोगों के सामने खड़ी कर दी थी। कई लोग इस मुश्किल में इन लोगों की मदद के लिए सामने आए। हालांकि कुछ विषय का चर्चा बनने में सफल रहे। लेकिन इस दौरान ऐसे कुछ आदिवासी लोग हैं जिन्होंने सैंकड़ों लोगों के खाने पीने का लॉकडाउन के समय ख्याल रखा। लोगों में अपने किचन गार्डन में तैयार फल और सब्जियां इन्होंने बांट दीं ताकी उनका पेट भर जाए।
मध्य प्रदेश के पन्ना, रीवा, सतना और उमरिया जैसे जिलों में 232 आदिवासी परिवार रहते हैं उनके बारे में हम बात कर रहे हैं। बता दें कि अपने आस-पास के इलाके के 425 से भी अधिक लोगों के पोषण का लॉकडाउन के समय में इन्होंने ख्याल रखा। करीबन 1100 अपने किचन गार्डन्स में फल और सब्जियां तैयार करी हुईं इन्होंने उन्हें खाने को दी। अब तक इन्होंने 37 क्विटंल से भी ज्यादा सब्ज़ियां बांट दीं हैं। इनकी कहानियां आपको बताते हैं।
रज्जी बाई
रज्जी बाई की साल 2016 में कुपोषण का शिकार इनकी बेटियां हुईं थी उसके बाद किचन गार्डन इन्होंने अपने घर में बना लिया। फिर इनकी रोजी रोटी भी कुछ समय बाद चलना शुरू हो गयी थी। जब इनके गांव डाडिन का बाजार लॉकडाउन के दौरान बंद हुआ तो इन्होंने सब्जियां अपने पड़ोसियों में बांटनी शुरू कर दी। वह कहती हैं कि अपने लोगों की मदद इस बुरे समय में हम नहीं करेंगे तो फिर कौन करेगा।
कृष्णा मवासी
कृष्णा मवासी सतना जिले के कैल्होरा गांव में रहते हैं। फल और सब्जियां इन्होंने अपने बगीचे में तैयार की और पड़ोसियों में बांट दीं थीं। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी उनके इस नेक काम की सराहना की थी।
नीरू कोल
नीरू कोल रीवा जिले की रहने वाली हैं और उन्होंने अपने किचन गार्डन में फल और सब्जियां लगभग अपने 15 पड़ोसियों में बांट दीं। उन्होंने कहा कि जब किसी धन का मोल इस संकट के समय नहीं रहा तो फल और सब्जी का क्या ही मोल होगा। यह हम सब की जिम्मेदारी है।
तुलसा बाई
तुलसा बाई पन्ना जिले के विक्रमपुर गांव में रहती हैं। गांव के गरीब लोगों में वह पिछले 1.5 महीने से सब्जियां बांट रही हैं। उन्होंने कहा कि अब तक 14 गांवों के 41 परिवारों के बीच वह 537 किलो सब्जियां बांट चुकी हैं। इसे जारी आगे भी वह रखेंगी।
केसरी बाई
केसरी बाई उमरिया जिले के मगरघरा गांव की रहने वाली हैं। लोगों में अपने बगीचे की सब्जियां उन्होंने लॉकडाउन के दौरान फ्री में बांटी थी। इसके अलावा 1 क्विंटल से अधिक सब्जियां अपने पड़ोस में वह अभी तक बांट रही हैं।
दरअसल एमपी में सामाजिक कार्यों में जुटी संस्था विकास संवाद ने इन आदिवासी परिवारों को किचन गॉर्डन का ये कॉन्सेप्ट सिखाया था। अब यह सैंकड़ों लोगों का पेट इसकी मदद से भर रहे हैं।