लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

एशियन चैंपियनशिप समेत विक्रम अवार्ड हासिल कर चुकीं ये लड़की आज भी खा रही है दर-दर की ठोकरें

अक्सर आपने सुना होगा लोगों को कहते हुए कि हमारा लक बहुत खराब होता है। जबकि कुछ लोग अपनी कड़ी मेहनत से इस लक को बनाते हैं। हर किसी को लक पर विश्वास होता है।

अक्सर आपने सुना होगा लोगों को कहते हुए कि हमारा लक बहुत खराब होता है। जबकि कुछ लोग अपनी कड़ी मेहनत से इस लक को बनाते हैं। हर किसी को लक पर विश्वास होता है। मेहनत पर हर कोई ज्यादा विश्वास नहीं करता। लेकिन सच बात यही है कि आप अपने लक को मेहनत से ही बना सकते हैं इसके लिए और कोई रास्ता नहीं होता। ऐसा ही काम जूही झा नाम की लड़की ने किया है। जिसने अपनी कड़ी मेहनत से अपना लक बनाया है। उसे हमेशा से अपनी लगन और मेहनत पर विश्वास रहा है। 
1599551580 juhi jha
बता दें कि सुलभ शौचालय में जूही झा के पिता काम करते थे। आर्थिक स्थिति उनके घर की ज्यादा अच्छी नहीं थी। जूही झा का जन्म मध्य प्रदेशके इंदौर में हुआ। जूही झा खो-खो खेल की खिलाड़ी हैं। प्रतिष्ठित विक्रम पुरस्कार से जूही को मध्य प्रदेश सरकार ने नवाजा हुआ है। लेकिन इसके बावजूद अच्छी नौकरी जूही के पास नहीं है। नौकरी के लिए वह हर जगह भटकती रहती हैं। 
सरकारी नौकरी खेल कोटे से
एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, जूही ने कई सालों से संघर्ष करके खेल कोटे से सरकारी नौकरी प्राप्त की है। साल 2018 की यह बात है। मध्य प्रदेश के सबसे ऊच्चतम खेल सम्मान विक्रम अवॉर्ड से तत्कालीन खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने नवाजा था। लेकिन जूही की हालत इन दिनों बेहद खराब हो चुकी है। आजकल पिता सुबोध कुमार झा और मां रानी देवी के साथ बाणगंगा के एक झोपड़े में जूही झा रहती हैं। 
1599551609 juhi jha
चक्कर सरकारी दफ्तरों के
दरअसल आर्थिक हालत जूही के घर की बेहद खराब है। सरकारी दफ्तरों के चक्कर पिछले दो साल से जूही नौकरी के लिए काट रही हैं। बता दें कि विक्रम पुरस्कार विजेताओं को शासकीय नौकरी सरकारी नियम के अनुसार मिलती है। लेकिन अभी तक भी यह नौकरी जूही को नहीं मिल पाई है। 

सुलभ शौचालय में रही हैं 12 साल
बता दें कि शहर के नगर निगम में जूही के पिता सुबोध कुमार झा नौकरी करते थे। उनके हिस्से में एक सुलभ शौचालय था। उसके अंदर एक कमरा था और उसमें उनके परिवार के पांच लोग रहते थे। मीडिया से इस मामले में बात करते हुए जूही ने कहा था कि बहुत बुरे दिन भी उनके परिवार ने देखे हैं। उनकी काफी यादें उस सुलभ शौचालय से जुड़ी हुई हैं। जूही ने कहा था कि हम सुलभ शौचालय में रहते हैं यह बहुत खराब लगता था। हम अपनी गरीबी की वजह से बहुत लाचार थे। एशियन चैंपियनशिप में साल 2016 में स्वर्ण पदक जीता था। 
1599551639 juhi jha 1
कुछ होगा यह उम्मीद थी
जूही ने आगे कहा कि, मुझे ये उम्मीद थी कि नए पुरस्कारों की घोषणा के साथ पुराने पुरस्कार प्राप्त खिलाड़ियों के लिए भी नौकरी की घोषणा होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस पर खेल मंत्रालय में संयुक्त संचालक डॉ.विनोद प्रधान ने कहा, मेरी जानकारी में ये बात आई है। विक्रम पुरस्कार के बाद उत्कृष्ट घोषित करने की प्रक्रिया वल्लभ भवन में होती है। 
1599551667 juhi jha 2
हर विभाग से जानकारी एकत्र की जाती है। वो बताते हैं कि कितनी वैकैंसी उनके विभाग में हैं। 1997 के कुछ प्रकरण थे, जिसमें उत्कृष्ट सर्टिफिकेट देने के बाद उसे वापस लिया गया,इस वजह से थोड़ी देर हुई है लेकिन अगले हफ्ते तक सब सही हो जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

four × two =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।