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होली की तैयारियों के रंग में डूबा मथुरा,बरसाने में भक्तो के लिए किये जा रहे हैं ख़ास इंतज़ाम

बांके बिहारी मंदिर अथवा गोवर्धन का दानघाटी मंदिर या मुकुट मुखारबिन्द मंदिर अथवा बरसाना का लाड़ली जी मंदिर या कीर्ति किशोरी मंदिर बरसाना सभी जगह सेवायतों की होली ठाकुर से हो रही है। ठाकुर को गुलाल लगाकर फिर उसी गुलाल को प्रसाद स्वरूप भक्तों पर डाला जा रहा है अथवा भक्तों को यह प्रसाद स्वरूप दिया जा रहा है।

आने वाले 9 और 10 मार्च को होली का त्यौहार है , जिसे बहुत धूम धाम से हमारे देश में मनाया जाता है।  मथुरा में तैयारियां अभी से शुरू हो गयी हैं। त्यौहार के लिए काफी नए इंतज़ाम किये जा रहे हैं। ब्रज होली मूल रूप से उत्तर प्रदेश में वृंदावन या ब्रज धाम (मथुरा, वृंदावन, नंद गाम, बरसाना, गोकुल आदि) क्षेत्रों में खेली जाने वाली होली है। होली  यहाँ सबसे अच्छा मनाया जाता है। होली के त्योहार में ब्रज का महत्व इसलिए है क्योंकि राधा-कृष्ण ने अपने अनोखे अंदाज में होरी खेली और यह विरासत आज तक चली आ रही है। मंदिर बरसाना धाम में स्थित है जो यूपी के मथुरा से 43 किलोमीटर दूर है। 
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बांके बिहारी मंदिर अथवा गोवर्धन का दानघाटी मंदिर या मुकुट मुखारबिन्द मंदिर अथवा बरसाना का लाड़ली जी मंदिर या कीर्ति किशोरी मंदिर बरसाना सभी जगह सेवायतों की होली ठाकुर से हो रही है। ठाकुर को गुलाल लगाकर फिर उसी गुलाल को प्रसाद स्वरूप भक्तों पर डाला जा रहा है अथवा भक्तों को यह प्रसाद स्वरूप दिया जा रहा है। 
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वैसे ब्रज में होली की शुरूआत रमणरेती से होती है। रमणरेती आश्रम के संत गोविन्दानन्द महराज ने बताया कि इस बार 27 फरवरी को रमणरेती आश्रम में होली खेली जाएगी। पहले श्यामाश्याम की फूलों की होली होगी और उसके बाद सामान्यजनों की ठाकुर के साथ रंग की होली होगी। यहां की होली में न केवल रंग के फौव्वारे चलते हैं बल्कि बड़ी बड़ी  पिचकारियों  से भक्तों पर टेसू का रंग डाला जाता है। 
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 रमणरेती में होनेवाली होली के लिए पांच कुंतल टेसू के फूल, 10 कुंतल गुलाब के फूल, 10 कुंतल मार्गेट के फूल, 10 कुंतल केमिकल विहीन आर्गेनिक गुलाल मंगाया गया है। रमणरेती आश्रम की होली गरिमापूर्ण तरीके से होती है तथा इस होली में ब्रज की कुछ अन्य होलि के भी दर्शन हो जाते हैं। यहां पर होली पूर्वान्ह 11 बजे शुरू होती है और दो घंटे से अधिक समय तक चलती है। इसमें आश्रम पीठाधीश्वर गुरूशरणानन्द महाराज  समेत अन्य संत भी होली खेलते हैं। वास्तव में ब्रज में खेली जानेवाली इस साल की होली में यह पहली होली होगी। हर साल सबसे पहले यहां की होली होती है और बरसाने की लठमार होली इसके बाद खेली जाती है। 
लाड़ली मंदिर बरसाना के रिसीवर कृष्ण मुरारी गोस्वामी के अनुसार इस बार बरसाना की होली 3 मार्च और 4 मार्च को होगी। नन्दगांव का पंडा तीन मार्च को बरसाना आएगा जहां वह गोपियों को होली खेलने का निमंत्रण देगा तथा इस खुशी में मंदिर में लड्डू होली होगी। 
अगले दिन नन्दगांव के हुरिहार होली खेलने के लिए बरसाने आएंगे तथा बरसाने की गोपियां रंगीली गली में उनके साथ लठमार होली खेलेंगे। 5 मार्च को बरसाने के गोस्वामी नन्दगांव जाएंगे जहां पर वे नन्दगांव की गोपियों से नन्दबाबा मंदिर और नन्द चौक में होली खेलेंगे। 
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श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के जनसंपर्क अधिकारी विजय बहादुर सिंह के अनुसार 6 मार्च यानी रंगभरनी एकादशी के दिन श्री कृष्ण जन्मस्थान की अनूठी होली होगी जिसमें ब्रज की सभी प्रकार की होलि के दर्शन होते हैं। प्राचीन केशवदेव मंदिर में इसी दिन लठमार होली खेली जाएगी। इसी दिन वृन्दावन की निराली होली होती है। 
बांके बिहारी मंदिर के सेवायत आचार्य शशांक गोस्वामी ने कहा कि मंदिर मे 24 फरवरी से विशेष सेवा उत्सव शुरू हो रहा है। वर्तमान में तो ठाकुर के कपोलों पर केवल गुलाल लगाया जा रहा है। किंतु रंग भरनी एकादशी यानी 6 मार्च से मंदिर में फूल और रंग के साथ सब रस होली का कार्यक्रम होगा तथा 10 मार्च को फूलडोल का आयोजन होगा। इस दौरान भक्त ठाकुर से ऐसी होली खेलते हैं कि मंदिर का वातावरण इन्द्रधनुषी बन जाता है। 
राधा बल्लभ मंदिर के सेवायत आचार्य मोहित गोस्वामी के अनुसार ठाकुर जी स्वयं बग्धी में सवार होकर ब्रजवासियों से होली खेलने के लिए निकलते हैं और इस दिन वृन्दावन की गलियां रंग से रंगीन हो जाती हैं। इसी दिन से वृन्दावन के सप्त देवालयों एवं बांकेबिहारी मंदिर में भी रंग की होली शुरू हो जाती है। इसके बाद गोकुल, महाबन,बल्देव, जटवारी, फालेन, मुखराई, जाब, बठेन, अहमलकलां आदि की होली विभिन्न प्रकार से होती है। मुखराई में चरकुला नृत्य होता है तो बल्देव में गोपियां गोपों की पिटाई रंग से भीगे कपड़ों  से करती है। इसे होली न कहकर इसे हुरंगा कहा जाता है और लठमार होली होती है। कुल मिलकार समूचे ब्रजमंडल में होली की मस्ती छाने लगी है।
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