मध्यप्रदेश के पीर पीपलिया के हवलदार मोहन सिंह सुनेर बीएसएफ का हिस्सा थे। वह त्रिपुरा में आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे। लेकिन शहीद जवान के निधन होने के करीब 27 साल बाद तक भी उनका परिवार झोपड़ी में रह कर अपनी जिंदगी गुजार रहा था।
वहीं सरकार ने भी शहीद के परिवार की कोई सुध नहीं ली। लेकिन गांव के कुछ युवाओं ने इस परिवार के लिए कुछ ऐसा कर दिखाया जो वाकई में काबिले तारीफ है। जी हां गांव के कुछ युवाओं ने 11 लाख रुपए जोड़कर और शहीद की विधवा राजू बाई को स्वतंत्रता दिवस के खास अवसर पर एक बेहद आलीशान घर तोहफे में दिया है। जिसकी खूब प्रशंसा हो रही है।
इस तरह से करवाया गृह प्रवेश
अगर बात सबसे शानदार पल की करी जाए तो वह कुछ और नहीं बल्कि गृह प्रवेश का मौका था। इसके लिए पहले सभी युवाओं ने उनसे राखी बंधवाई। जिसके बाद सभी युवाओं ने अपनी हथेलियां जमीन पर बिछा दी,जिसपर चलकर उन्होंने अपने नए घर में प्रवेश किया। मोहन सिंह का परिवार मजदूरी करके अपना पेट भर रहा था,क्योंकि मात्र 7000 रुपए में घर चला पाना बेहद मुश्किल काम है।
शहीद के परिवार का ऐसा सम्मान न देखा#इंदौर बेटमा गांव के युवाओं ने चंदा इकट्ठा कर बनवाया शहीद की बेवा और बच्चों के लिए घर, शहीद के सम्मान में गृहप्रवेश के लिए लोगों ने हथेली बिछा दी…
बमेटा युवाओं को कोटि कोटि प्रणाम #जय_हिन्द_जय_भारत
https://t.co/xUxlZ6oPs9 pic.twitter.com/tsRMjnGFZH— Sandeep Singh (@SINGH_SANDEEP_) August 16, 2019
शहीद की प्रतिमा बनाई
मिली रिपोर्ट के अनुसार शहीद के इस परिवार को किसी तरह की कोई भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला है। शहीद के परिवार की नाजुक हालत देखकर गांव के कुछ युवाओं ने वन चेक-वन साइन नाम से एक अभियान चालू किया। अभियान से जुड़े विशाल राठी ने जानकारी साझा करते हुए कहा कि 11 लाख रुपए इकट्ठा हुए थे,जिनमें से 10 लाख रुपए का घर तैयार करवाया गया है।
शहीद के परिवार का ऐसा सम्मान न देखा#इंदौर बेटमा गांव के युवाओं ने चंदा इकट्ठा कर बनवाया शहीद की बेवा और बच्चों के लिए घर, शहीद के सम्मान में गृहप्रवेश के लिए लोगों ने हथेली बिछा दी…
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वहीं जो बाकी के 1 लाख रुपए बच गए थे उसमें शहीद मोहन सिंह की प्रतिमा तैैयार करवाई गई,जिसे पीर पीपल्या मुख्य मार्ग पर स्थापित करवाया जाएगा। मोहन सिंह 31 दिसंबर 1992 में शहीद हुए थे। अब ये सभी युवा चाहते हैं कि जिस सरकारी स्कूल में शहीद मोहन सिंह ने पढ़ाई की है उसका नाम भी उनके नाम पर ही रखा जाए।