बीते दिन यानि 22 जुलाई 2019 सोमवार के दिन इसरो ने इतिहास रचते हुए अपने चंद्रयान-2 को बिल्कुल सही समय दोपहर 2 बजकर 43 पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शान के साथ रवाना हो गया। वैसे ये मिशन अपने आप में बेहद खास है लेकिन एक और अन्य चीज है जो इसे और भी ज्यादा खास बनाती है। वो कुछ और नहीं बल्कि इसकी कमान दो महिला वैज्ञानिकों के हाथों में होना है।
ऐसा इसरो के इतिहास में पहली बार हुआ है जब किसी अंतरिक्ष मिशन की कमान दो महिला वैज्ञानिकों के हाथों में है। इसमें डॉयरेक्टर रितू करिधल हैं, तो वहीं एम.वनीता प्रोजेक्ट डॉयरेक्टर हैं। बाकी कुछ और महिला वैज्ञानिक भी हैं जिन्होंने इस मिशन के जरिए सफलता की बुलंदियों को छुआ है। इस पूरे प्रोजेक्ट में 30 प्रतिशत महिलाओं का योगदान रहा है।
इसरों के अध्यक्ष डॉ के.सिवन ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि हम महिलाओं और पुरुषों में किसी तरह को कोई अंतर नहीं समझते हैं। इसरो में करीब 30 प्रतिशत महिलाएं काम करती है। ये कोई पहली बार नहीं है जब किसी महिला ने इतनी बड़ी जिम्मेदारी की कमान संभाली है। इससे पहले मंगल मिशन में आठ महिला वैज्ञानिकों को अहम किरदार सौंपा था।
रितु करिधाल: मिशन डायरेक्टर
करिधाल चंद्रयान-2 में मिशन डायरेक्टर हैं। वह मंगलयान में डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर रही थीं। रितु करिधाल लखनऊ के एक मध्यवर्गीय परिवार से तालुक रखती हैं। रितु ने एयरोस्पेस इंजीनिर्यंरग में मास्टर्स डिग्री लेेने के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में पहुंची थी। इतना ही नहीं वह 1997 से इसरो में कार्य कर रही हैं। उन्हें पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से साल 2007 में युवा वैज्ञानिक का अवॉर्ड भी मिला था। चंद्रयान-2 के चंद्रमा की परिक्रमा कक्षा में दाखिल होने से जुड़े मिशन पर वह ध्यान देंगी।
वनिता मुथैया: परियोजना निदेशक
वनिता च्रंद्रयान मिशन की परियोजना निदेशक हैं। उन्हें चंद्रयान-2 की प्रोजेक्ट डायरेक्ट की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वनिता एक इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम इंजीनियर और डाटा विश्लेषण विशेषज्ञ हैं। चन्द्रयान-2 का मुख्य उद्देश्य पानी के साथ विभिन्न धातुओं और खनिजों समेत चन्द्रमा की सतह क तापमान,विकिरण,भूकंप आदि का डेटा इकठ्ठा करना है।
ऐसे में वनिता का काम मिशन से जुटाए गए डाटा का विश्लेषण रहेगा। यह पहले चंद्रयान-1 के लिए भी काम कर चुकी हैं। इतना ही नहीं वनिता भारत के रिमोट सेन्सिंग उपग्रहों की व्यवस्था भी संभालती है। वनिता को साल 2006 मे सर्वोत्तम महिला वैज्ञानिक पुरस्कार भी मिल चुका है।