देहरादून : राज्यपाल डॉ. पाल ने ग्राफिक एरा में आयोजित ज्योतिष महाकुम्भ सम्मेलन में ज्योतिष केे आधुनिक विज्ञान से समन्वय किए जाने की जरूरत पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि ज्योतिष को वैज्ञानिक आधार प्रदान करने के लिए शोध की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि ज्योतिष महाकुम्भ का शुभारम्भ किया गया है। भारतीय संस्कृति विश्व की एकमात्र ऐसी संस्कृति है जो कि निर्बाध धारा के रूप में प्रवाहित हो रही है। वैदिक काल से प्रारम्भ ज्योतिष आज भी भारतीय संस्कृति व सभ्यता का अभिन्न अंग है।
उज्जैन ज्योतिष का बहुत बड़ा केंद्र था। वेदों के अध्ययन से पूर्व छात्रों को छः वेदांग पढ़ाए जाते थे। इनमें एक वेदांग ज्योतिष भी था। ज्योतिष से तात्पर्य नेत्र की ज्योति से है। अर्थात ज्योतिष भूतकाल के साथ भविष्य को भी देख सकता है। ज्योतिष के सिद्धांत, उस समय जो खगोल का ज्ञान उपलब्ध था, उस पर आधारित था। अब विज्ञान व ब्रह्मांड के ज्ञान में बहुत प्रगति हो गई है। इसलिए ज्योतिष की संगतता को विज्ञान के पर्यवेक्षण से तालमेल बैठाने के प्रयास किये जाने चाहिए। इसके लिए शोध को विशेष महत्व देना होगा।
राज्यपाल ने कहा कि बहुत से वैज्ञानिक तथ्य होते हैं परंतु इनके पीछे क्या कारण हैं, उनका पता समय के साथ ही चलता है। दक्ष ज्योतिषियों द्वारा की गई भविष्यवाणियां सही साबित होती है। परंतु इनके पीछे के वैज्ञानिक आधार को सिद्ध करने के लिए शोध की जरूरत है। राज्यपाल ने कार्यक्रम में ज्योतिष पितामह से सम्मानित किए गए के.एन. राव को ज्योतिष का प्रकांड विद्वान बताते हुए कहा कि उन्होंने देश-काल-पात्र का सिद्धांत दिया। कार्यक्रम में पं. सतीश शर्मा को ज्योतिष लाईफ टाईम एचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।
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– सुनील तलवाड़