दीपावली की अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस त्यौहार का भारतीय लोकजीवन में काफी महत्व है। गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती है जैसे नदियों में गंगा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं।
भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण हैं।वैसे तो भगवान कृष्ण के कई सारे नाम हैं। कोई उन्हें लड्डू गोपाल कहता है तो कोई उन्हें बाकें-बिहारी,कोई नंदलाल,कान्हा तो कहीं वो गिरधारी। लेकिन इन सभी नामों के जपने का फल भी तभी माना जाता है जब आपके लड्डू गोपाल का मन पूरी तरह से तृप्त हो जाए। आपने कान्हा जी के किस्से तो कई सारे सुने होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप भी अपने नंदलाल को चुटकियों में प्रसन्न कर सकते हैं।
भगवान श्री कृष्ण को इस दिन पूजा के बाद खास भोग अर्पित किया जाता हैं। जिससे भगवान जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं।गोवर्धन पूजा के दिन भोग में श्रीकृष्ण को अन्नकूट अर्पित किया जाता है। भगवान को 56 भोग लगाकर प्रसन्न कर सकते हैं और यदि आप भोग नहीं लगा सकते तो आप केवल एक चीज को भोग लगा कर भी भगवान श्रीकृष्ण से उनका आर्शीवाद प्राप्त कर सकते हैं।
पौराणिक कथाओ के मुताबिक बाल-गोपाल को माखन यानि मक्खन खाना सबसे ज्यादा पसंद था। इतना ही नहीं उनके माखन खाने के पीछे तो एक बार उनकी मां यशोदा ने उन्हें दंड भी दे दिया था। कान्हा जी तो मक्खन खाने के इतना ज्यादा शौकीन थे कि वह अपने साथियों के साथ मिलकर मक्खन चुराया करते थे। इसी वजह से उन्हें माखन चोर भी कहा जाता था।
ऐसा कहा जाता है कि मैया यशोदा अपने हाथों से कान्हा जी को माखन मिश्री का भोग लगती थी। इसलिए अगर आप भी कान्हा जी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो उन्हें आप गोवर्धन ताजे माखन मिश्री का भोग लगाएं और श्रीकृष्ण से उनका आर्शीवाद प्राप्त करें।