मगरमच्छ सरिसर्प की श्रेणी में आने वाला ये जानवर कितना खूंखार हैं इस बात से तो सभी बखूबी वाखिफ़ हैं। अगर इसे कोई अपने सामने देख भी ले तो खड़े-खड़े उस इंसान के पसीने छूट जाये ऐसा जानवर हैं ये मगरमच्छ, फिर चाहे कोई कितना ही निडर क्यों न हो इसे देख कर किसी की भी हवाईयां उड़ना निश्चित हैं!
ये ऐसे जीव हैं जिनका रूप-रंग इतना भयानक है कि अगर ये टीवी या सोशल मीडिया वीडियो में भी नजर आ जाएं तो इन्हें देखकर डर एक समान ही लगता है। पर नेपाल में इन दिनों मगरमच्छों का रंग (Orange crocodile Nepal) बदलता जा रहा है, जिसे देखकर शायद वो आपको डरावने नहीं, क्यूट लगने लगेंगे! यहां भूरे रंग के मगरमच्छों की जगह नारंगी रंग के मगरमच्छ दिखाई पड़ रहे हैं।
लाइव साइंस वेबसाइट की एक रिपोर्ट के अनुसार नेपाल में ताजे पानी के मगरमच्छ (Crocodiles Gharials turn orange) और घड़ियालों का रंग नारंगी होता जा रहा है। वैज्ञानिक बदलते रंग को देखकर हैरान रह गए और उन्होंने इसका कारण पता लगाने की कोशिश भी की। जिसके बाद उनके हाथ ये लगा कि, ये मगरमच्छ नेपाल के चितवन नेशनल पार्क (Chitwan National Park, Nepal) में देखने को मिले जो हिमालय की तलहटी का एक संरक्षित क्षेत्र है। लेबनीज इंस्टिट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर इकोलॉजी और इनलैंड फिशरीज़ की पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्चर फोएबे ग्रिफिथ ने इन मगरमच्छों पर एक थ्रेड ट्वीट किया जिसमें उन्होंने मगरमच्छों से जुड़ी काफी प्रमुख जानकारी दी।
धूप से टैनिंग है इनके बदलते रंग की वजह?
उन्होंने मजाक में कहा कि ऐसा लग रहा है कि इन मगरमच्छों को ज्यादा धूप मिलने से टैनिंग हो गई है। प्रोजेक्ट मेसिस्टॉप के साथ मिलकर कुछ शोधकर्ताओं ने इन मगरमच्छों पर शोध किया और जानने की कोशिश की कि आखिर इनका रंग क्यों बदलता जा रहा है। तब उन्होंने पाया कि ये सब कुछ धूप की वजह से नहीं, बल्कि आयरन की वजह से देखने को मिल रहा हैं।
इस वजह से बदल रहा है घड़ियालों का रंग
पार्क में कई नदी और नहर ऐसी हैं जिनमें आयरन की मात्रा काफी ज्यादा होती हैं। जो घड़ियाल या मगरमच्छ उन नहरों में ज्यादा वक्त बिता रहे हैं, उनके शरीर पर आयरन के रिएक्शन की वजह से नारंगी रंग आता जा रहा है। गनीमत ये है कि ये नारंगी रंग अस्थायी है और जल्द ही हट जाएगा। आपको बता दें कि आयरन जब ऑक्सीजन के साथ मिलता है तो नारंगी पदार्थ का निर्माण करता है जिसे आयरन ऑक्साइड कहते हैं। नेपाल में मगरमच्छ और घड़ियाल की आबादी काफी कम हुई है। जिसके चलते इसका प्रमुख कारण शिकार और प्रदूषण है और उन्ही का प्रभाव हमें इन मगरमच्छो पर भी देखने को मिला।