चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी व्रत तिथि 19 मार्च गुरुवार यानी आज है इसे पापमोचनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म के मुताबिक भगवान विष्णु जी की पूजा पापमोचनी एकादशी के व्रत को रखकर की जाती है जिससे व्यक्ति के ज्ञात-अज्ञात पाप दूर हो जाते हैं और सारी मनचाही मुरादें पूर्ण होती हैं। चलिए आपको पापमोचनी एकादशी व्रत विधि, मुहूर्त और महत्व के बारे में बताते हैं।
पापमोचनी एकादशी व्रत और पूजा का विधान
सूर्यादय से करीब 2 घंटे पहले पापमोचनी एकादशी के दिन स्नान करके पीले या स्वेत वस्त्र पहनकर तैयार हो जाएं। उसके बाद पूजा की जगह पर पीले कुशा के आसन पर बैठें और जल, चावल, पुष्प अपने सीधे हाथ में रखकर एकादशी का व्रत रखें। धुप, दीप, चंदन,ऋतुफल एवं नैवैद्य यानी मीठा भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप का षोडशोपचार पूजा विधान के साथ भोग लगाएं। बाद में इस ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः।। मंत्र का जाप तुलसी की माला से 551 बार करें।
ध्यान रहे कि नमक व शक्कर से बने पदार्थों का सेवन पापमोचनी एकादशी के दिन न करें। अगर आप दोनों समय निराहर रह सकते हैं तो रहें। इस दिन आप नींबू पानी पी सकते हैं और द्वादशी तिथि अगले दिन है तो अपना व्रत आप सुबह पारण के बाद खोल दें। पहले किसी योग्य पंडित या गरीब को दान-दक्षिणा देकर भोजन करने से पहले अपना व्रत पूर्ण करें।
ये है सर्व पापमोचनी एकादशी व्रत का मुहूर्त
19 मार्च गुरुवार यानी आज पापमोचनी एकादशी व्रत है जो सुबह सुर्योदय से पहले 4 बजकर 26 मिनट से शुरु होकर 20 मार्च दिन शुक्रवार तक सुबह 5 बजकर 59 मिनट तक रहेगी।
हर इच्छा पूरी होती है इस व्रत से
पापमोचनी एकादशी का व्रत जो भी व्यक्ति रखते हैं वह पवित्र पूरे उपवास काल में रहते हैं। विशेष भजन कीर्तिन का आयोजन घर या मंदिरों में करें। इस दिन अगर हो सके तो श्रीमद्भगवत गीता का पाठ करें। पीपल के पेड़ के नीचे सुबह और शाम को इस दिन मनोकामना पूर्ति के लिए आटे से बना 11 बत्ती का दीपक जलाएं और 11 बार परिक्रमा करें। ऐसा करने से व्यक्ति की सारी मुरादें पूरी हो जाएंगी साथ ही ज्ञात-अज्ञात पाप कर्मों के दुष्फल से मूक्ति हो जाएंगे।