लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

जानिए कब है पौष पुत्रदा एकादशी, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा और महत्‍व

हिंदू शास्‍त्र के मुताबिक 24 एकादशियां साल में आती हैं। उसमें से पुत्रदा एकादशी दो को बताया गया है। श्रावण और पौष शुक्ल पक्ष में पुत्रदा एकादशी आती है।

हिंदू शास्‍त्र के मुताबिक 24 एकादशियां साल में आती हैं। उसमें से पुत्रदा एकादशी दो को बताया गया है। श्रावण और पौष शुक्ल पक्ष में पुत्रदा एकादशी आती है। साल की पहली एकादशी पुत्रदा एकादशी होती है जो 6 जनवरी 2020 को इस साल आ रही है। 
1578207181 putrada ekadashi 2020
हिंदू धर्म में विशेष महत्व पुत्रदा एकादशी का सारी एकादशियों में दिया गया है। मान्यता है कि योग्य संतान की प्राप्ति इस व्रत को रखने से होती है। साथ ही संतान की तरक्की के लिए भी इस व्रत को बताया गया है। 
1578207235 vishnu ji
सृष्टि के पालनहार श्री विष्‍णु भगवान की पूजा इस दिन की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि पुत्रदा एकादशी का व्रत जो भक्त अपनी पूरी आस्‍था से रखता है उसे संतान का सुख प्राप्त होता है। इसके साथ ही ऐसी मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा जो कोई भी पढ़ता है, सुनता है या सुनाता है उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। 
ये है पुत्रदा एकादशी की व्रत विधि
भगवान विष्‍णु का स्मरण एकादशी के दिन सुबह उठकर करना चाहिए। 
स्वच्छ वस्‍त्र उसके बाद स्नान करके धारण कर लें। 
फिर भगवान विष्‍णु के सामने दीपक जलाकर अपने व्रत का संकल्प करें और साथ में कलश की स्‍थापना भी करें।
उसके बाद लाल वस्‍त्र कलश में बांधकर पूजा करें। 
विष्‍णु जी की प्रतिमा को स्नान कराके वस्‍त्र धारण कराएं। 
1578207438 deepak
उसके बाद नैवेद्य और फलों का भोग भगवान विष्‍णु को लगाएं। 
फिर धूप-दीप दिखाकर विधिवत् पूजा और अर्चना विष्‍णु भगवान की करें साथ में आरती भी करें। 
निराहर इस दिन रहें। उसके बाद शाम को कथा सुनने के बाद फलाहार खा लें। 
ब्राह्मणों को दूसरे दिन खाना खिलाएं और व्रत का पारण यथा सामर्थ्य दान देकर करें। 
ये है पुत्रदा एकादशी की कथा
बहुत प्रचलित है इस व्रत के बारे में यह कथा। राजा महीजित द्वापर युग में थे और वह धर्मप्रिय और विद्वान थे। लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी जिसका उन्हें बहुत दुख था। गुरु लोमेश जी को उन्होंने अपनी व्यथा सुनाई। लोमेश ने राजा को बताया कि इस जन्म में संतान का सुख पिछले जन्म के पापों की वजह से नहीं मिल पाया है। 
1578207553 bhagwan vishnu
इसके अलावा लोमेश जी ने राजा से कहा कि अगर वह पुत्रदा एकादशी का व्रत विधिविति रूप से रखेंगे तो उन्हें पुत्र की प्राप्ति होगी। हालांकि लगातार कुछ सालों तक राजा ने यह व्रत रखा और उन्हें एक सुंदर से पुत्र की प्राप्ति हुई। पद्मपुराण में यह कथा आती है। इसके अलावा आप श्री विष्‍णुसहस्‍त्रनाम का पाठ इस दिन जरूर करें। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

eighteen + thirteen =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।