राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने आज कहा कि जीवन को कैसे जीना है, पितृ वचन को कैसे निभाना है, यह आठ हजार वर्षों से हमारे पूर्वजों ने रामचंद, जी से ही सीखा है, इसलिए राम मंदिर का बनना जरूरी है। भागवत ने यह बात मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ जिले में सिहोरा ग्राम के पास आयोजित एक धार्मिक स्थल के भूमिपूजन समारोह के बाद उपस्थित जनता को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने गौवंश पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सृष्टि के पालन के लिए गाय की सर्वाधिक महत्ता है, पर हम उसकी उपेक्षा करते हैं।
पूरे विश्व में भारतीय गाय ही सर्वश्रेष्ठ मानी गई है, लेकिन उनको कसाई तक पहुंचाने के लिए हम ही जिम्मेदार हैं। विचार और प्रयास होना चाहिए कि गौवंश का सरंक्षण किया जाए। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि देश में शिक्षा की पुनर्रचना पर चर्चा चल रही है। उन्होंने फिनलैंड की शिक्षा प्रणाली का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां चार से आठ साल के बच्चों को व्यावहारिक शिक्षा देने के लिए दिन भर में आधा समय शाला से बाहर शिक्षा दी जाती है और मातृभाषा में ही पढ़या जाता है। भागवत कार्यक्रम के बाद यहां से नागपुर रवाना हो गए।
हमारी मुख्य खबरों के लिए यह क्लिक करे।