साईं नाथ भगवान की पूजा अर्चना का विधान हिंदू धर्म में गुरुवार का दिन माना गया है। मान्यता है कि अपने भक्तों की हर मुराद साईं बाबा पूरी करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि साईं बाबा का व्रत अगर कोई भी व्यक्ति 9 गुरुवार तक रखता है तो उसकी हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। इतना ही नहीं भक्तों की मुरादें साईं बाबा के मंत्रों के जप से भी पूरी होती हैं।
मान्यताओं के अनुसार, साईं महामंत्र के तौर पर साईं बाबा के 108 नाम भी लिए जाते हैं। साईं बाबा नामवाली भी साईं बाबा के 108 नाम को कहा जाता है। कहते हैं कि साईं बाबा के करीब साईं नाथ के मंत्र उच्चारण करने से पहुंच जाते हैं। दरअसल कहा जाता है कि ईश्वर के करीब तक जाने की शक्ति उन मंत्र में होती है क्योंकि वह चमत्कारी और शक्तिशाली होते हैं।
साईं बाबा के महामंत्र ये हैं-
1. ॐ साईं राम
2. जय जय साईं राम
3. सबका मालिक एक है
4. ॐ साईं देवाय नमः
5. ॐ साईं गुरुवाय नमः
6. ॐ शिर्डी देवाय नमः
7. ॐ सर्व देवाय रूपाय नमः
8. ॐ समाधिदेवाय नमः
9. ॐ अजर अमराय नमः
10. ॐ मालिकाय नमः
11. ॐ फखिरदेवाय नमः
12. ॐ शिरडी वासाय विद्महे सच्चिदानंदाय धीमहि तनो साईं प्रचोदयात
13. ॐ सर्वज्ञा सर्व देवता सवरूप अवतारा , सत्य धर्म शांति प्रेमा स्वरूप अवतारा, सत्यम शिवम् सुन्दरम स्वरुप अवतारा , अनंत अनुपम ब्रह्म स्वरूप अवतारा , ॐ परमानंद श्री शिरडी नाथाय नमः
ये है साईं बाबा की व्रत कथा और पूजा की विधि
मान्यताओं के अनुसार गुरुवार का दिन साईं नाथ भगवान की पूजा करने के लिए बेहद सर्वोत्तम होता है। बच्चा, बुजुर्ग या महिला कोई भी व्यक्ति साईं व्रत कर सकता है। कोई भी व्यक्ति जाती-पति के भेदभाव बिना यह व्रत कोई भी कर सकता है।
साईं बाबा के नाम के साथ गुरुवार को कोई भी यह व्रत अपना शुरू कर सकता है। साईं बाबा की मूर्ति या फोटो की पूजा सुबह या शाम को करें। पीला या लाल कपड़ा किसी आसन पर बिछाकर साईं बाबा की मूर्ति या फोटो उस पर रखें फिर चंदन या कुमकुम का तिलक लगाएं।
उसके बाद पीला फूल या हार साईं नाथ भगवान की मूर्ति या फोटो पर चढ़ाएं। फिर साईं व्रत की कथा दीपक जलाकर पढ़ें और बाबा का ध्यान करें। कोई भी फलाहार या मिठाई पूजा के प्रसाद में भोग लगाएं।
जब साईं बाबा के व्रत 9 हो जाएं तो पांच गरीब व्यक्तियों को भोजन और सामर्थ्य अनुसार दान अंतिम व्रत के दिन दें। 7, 11, 21 साई पुस्तकें साईं बाबा की कृ्पा का प्रचार करने के लिये भक्तों में बांटें। इस व्रत को समाप्त इस तरह से करें।