हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का महत्व बहुत माना गया है। इस दिन को पवित्र कहा गया है। मान्यताओं के मुताबिक, सभी देवों में गणेश भगवान को प्रथम देवता मानते हैं। इसी वजह से भगवान गणेश जी की पूजा हर शुभ कार्य करने से पहले की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जीवन में आने वाली सभी समस्याएं गणेश जी को याद करने से दूर होती हैं साथ ही सारे कार्य भी सफल होते हैं।
ये है गणेश जी की पूजा का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, हर प्रकार के विघ्नों को गणेश जी की पूजा से दूर किया जाता है। इसलिए विघ्नहर्ता भी गणेश जी को कहा जाता है। बुद्धि और विवेका का दाता गणपति बप्पा को कहते हैं। संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखना चाहिए।
मान्यताओं के मुताबिक, व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि गणपति बप्पा की इस दिन पूजा करने से प्राप्त होती है। चंद्र के दर्शन इस दिन किए जाते हैं। जीवन से नकारात्मकता का नाश भी चंद्र दर्शन करने से होता है साथ ही हर मनचाही मुराद भी पूरी होती है।
इन मंत्रों से गणेश जी को करें प्रसन्न
1. ॐ गं गणपतये नम:
2. वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ। निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
3. ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥
ये है चंद्रोदय का समय संकष्टी चतुर्थी पर
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ: 5 सितंबर को शाम 4:38 से
चतुर्थी तिथि समाप्त: 6 सितंबर को रात 07:06 पर
करें गणेश जी की आरती
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.
एकदन्त दयावन्त, चार भुजाधारी.
माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी.
पान चढ़े फूल चढ़े, और चढ़े मेवा.
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा.
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.
अँधे को आँख देत, कोढ़िन को काया.
बाँझन को पुत्र देत,निर्धन को माया.
सूर श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.
दीनन की लाज राखो, शम्भु सुतवारी.
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी.
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.