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इस साल कब मनाई जाएगी सर्व पितृ अमावस्या,जाने इसका सही समय और तिथि के बारे में…

पितृ विसर्जन अमावस्या आश्विन माह की अमावस्या को कहा जाता है। इस दिन पितृपक्ष का अंतिम दिन होता है और इसी दिन पितृों को विदा भी किया जाता है।

पितृ विसर्जन अमावस्या आश्विन माह की अमावस्या को कहा जाता है। इस दिन पितृपक्ष का अंतिम दिन होता है और इसी दिन पितृों को विदा भी किया जाता है।  पितृ लोक से आए हुए पितृजन अपने लोक लौट जाते हैं। पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन ब्राह्मण भोजन तथा दान आदि से पितृजन तृप्त होते हैं और जाते समय अपने पुत्र, पौत्रों और परिवार को आशीर्वाद देकर जाते हैं। इस बार सर्व पितृअमावस्या 17 सिंतबर को पड़ रही है। वैसे तो 16 सितंबर को शाम 7 बजे से ही अमावस्या लगेगी और 17 सितंबर को शाम 4 बजे तक रहेगी। इसलिए सर्व पितृ अमावस्या 17 सितंबर को ही मनाई जाएगी। 
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बता दें कि पितृ अमावस्या के दिन उन सभी पितरों का श्राद्घ किया जाता है,जिनकी मृत्यु की तिथि याद न हो या किसी करण उनका श्राद्ध करना भूल गए हों। या यूं कह सकते हैं सभी भूले बिसरों को इस दिन याद कर उनका तर्पण किया जाता है।
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अमावस्या मुहूर्त
अमावस्या तिथि शुरू: 19:58:17 बजे से (सितंबर 16, 2020) 
अमावस्या तिथि समाप्त: 16:31:32 बजे (सितंबर 17, 2020)
मान्यता के मुताबिक गुरुवार का दिन पितरों के विसर्जन के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन पितरों को विदा करने से पितृ देव बहुत खुश होते हैं,क्योंकि यह मोक्ष देने वाले भगवान विष्णु की पूजा का दिन माना जाता है।  इसलिए ध्यान रखें सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों का विसर्जन विधि विधान से किया जाना चाहिए। पितरों के न‍िम‍ित्‍त श्राद्ध 11:36 बजे से 12:24 बजे में ही करना चाहि‍ए।
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सर्व पितृ अमावस्या के दिन  भी भोजन बनाकर इसे कौवे, गाय और कुत्ते के लिए निकाला जाता है। ऐसा कहा जाता है कि पितर देव ब्राह्राण और पशु पक्षियों के रूप में अपने परिवार वालों दिया गया तर्पण स्वीकार कर उन्हें खूब आशीर्वाद देते हैं।
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इतना ही नहीं जो लोग सच्चे मन से श्रद्धा से अपने पितरों को विदा करता है उसके पितृ देव उसके घर-परिवार में खुशियां भर देते हैं। वैसे माना जाता है जिस भी घर के पितृ प्रसन्न होते हैं पुत्र प्राप्ति और मांगलिक कार्यक्रम उन्हीं के घरों में संम्पन्न होते है। 
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पितृ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े पहनें। पितरों के तर्पण के निमित्त सात्विक पकवान बनाएं और उनका श्राद्ध करें। शाम के समय सरसों के तेल के चार दीपक जलाएं। इन्हें घर की चौखट पर रख दें। 
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एक दीपक लें,एक लोटे में जल लें। अब अपने पितरों को याद करें और उनसे यह प्रार्थना करें कि पितृपक्ष समाप्त हो गया है इसलिए वह परिवार के सभी सदस्यों को आशीर्वाद देकर अपने लोक में वापस चले जाएं। 
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यह करने के बाद जल से भरा लोटा और दीपक को लेकर पीपल की पूजा करें। पितृ विसर्जन विधि के दौरान किसी से भी बात ना करें। इस दिन  ब्राह्मण को आमंत्र‍ित कर भोजन कराना चाह‍िए। इसके अलावा आप गरीबों को भी अन्‍न का दान कर सकते हैं। 

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