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याद है sarvjeet सिंह? जिसने ये फेक केस सॉन्ग लाकर किया पुरुषों को प्रभावित

#Metoo आंदोलन के उछाल ने जैसे मानों साल 2018 में सोशल मीडिया पर अपना कब्जा जमा लिया हो। कई सारे ऐसे सेलेब्स और मशहूर व्यक्ति जो बेवजह भी मीटू का शिकार हुए।

#Metoo आंदोलन के उछाल ने जैसे मानों साल 2018 में सोशल मीडिया पर अपना कब्जा जमा लिया हो। कई सारे ऐसे सेलेब्स और मशहूर व्यक्ति जो बेवजह भी मीटू का शिकार हुए। इस कड़ी में जब सच में कई ऐसे पीडि़त लोग जिनके साथ यह घटना हुई और उनको इंसाफ मिल रहा था। तब इस दौरान कई सारे ऐसे फर्जी मामले सामने आए। जिस वजह से कुछ महिलाओं ने तो केवल लाइमलाइट में आने के लिए झूठे आरोपों का सहारा लिया ताकि सबका ध्यान उनकी और केंद्रित हो सके। 
वहीं जांच पड़ताल करने के बाद कुछ मामले ऐसे भी सामने आए जहां पर सारे आरोप पुरुषों पर ही लगाए गए और उन्हें इसका भुगतना भी पड़ा। हाल ही में इस पूरे मामले  पर एक जारी वीडियो बनाया गया है,जिसमें  #Metoo आंदोलन के एक अन्य पीडि़त सर्वजीत सिंह बेदी को दिखाया गया था।
इस जारी किए गए वीडियो में दिखाया गया है कि एक महिला ने उस पर कैसे झूठे आरोप लगाए हैं और उसे सिर्फ खुद को निर्दोष  साबित करने के लिए कैसे अदालतों के बार-बार चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। इतना ही उसके पास खुद को सही  साबित करने के लिए सबूत भी है। मगर उस पर कोई ध्यान देने को तैयार नहीं है और यह सब कुछ उसको मानसिक रूप से काफी ज्यादा प्रभावित करता है। इस नकली केस गीत में दिखाया गया है कि एक आदमी को कभी-कभी बिना कुछ किए कितनी बुरी तरह से  पीडि़त होना पड़ता है। 

वैसे इस वीडियो में एक मजबूत संदेश और नए आंदोलन  #Metoo को प्रदर्शित करता है। अब क्या कभी यह सोचा जाएगा कि यह आदमी पूरी तरह से निर्दोष है इसकी जरा सी भी गलती नहीं है। लेकिन आप किसी को कितना मर्जी क्यों न समझा लें कोई आपकी बात पर विश्वास नहीं करेगा क्योंकि उनके खिलाफ झूठे मामले हैं। मगर इस बात को जानना बहुत जरूरी है कि हर कोई एक जैसा नहीं है। ऐसे में  #Metoo और जो भी कुछ अन्य मामलें मामला है इसके लिए निष्पक्ष की सुनवाई एक बार जरूर होनी चाहिए। 
यह पूरी तरह से फर्जी है और किसी सच्चे इंसान को बुरी तरह से फ़साने की अच्छी भली साजिश है। यह उन सही लोगों के लिए गलत चीज है जो जनता का इस्तेमाल कर अपना फायदा देखते हैं। वैसे कुल मिलाकर इसका हल यही है #Metoo आंदोलन को एक काउंटर के रूप में नहीं बल्कि आंदोलन के समर्थक के रूप में देखा जाना सभी के लिए बहुत जरूरी है। 

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