तिल का विशेष महत्व हिंदू धर्म में माघ के महीने में बताया गया है। इस महीने पहले सकट चौथ या तिलवा फिर मकर संक्रांति उसके बाद षट्तिला एकादशी आती है। तिल के दान से पुण्य की प्राप्ति तो षट्तिला एकादशी में होती है साथ ही ये 6 प्रकार के तिल के प्रयोग करने से गृहस्थ लोगों की सोई हुई किस्मत ऐसा करने से जाग जाती है। चलिए आपको तिल के ये 6 प्रयोग के बारे में बताते हैं-
तिल का पहला प्रयोग
स्नान वाले जल में सबसे पहले तिल का प्रयोग करना चाहिए और फिर पीले कपड़े स्नान के बाद धारण कर लें। व्यक्ति का दुर्भाग्य ऐसा करने से दूर होता है और भाग्य के दरवाजे खुल जाते हैं। परम फलदायी के तौर पर तिलों के इस उपयोग को मानते हैं। वाचिक, मानसिक और शारीरिक पापों से मुक्ति षटतिला एकादशी के व्रत रखने से व्यक्ति को होती है।
तिल का दूसरा प्रयोग
उबटन लगाकर तिल का दूसरा प्रयोग करें। सर्दी के मौसम में तिल का उबटन लगाकर करने से फायदा होता है। आवश्यक ऊर्जा आपको शरीर में मिलती है और सर्दी के विकार भी दूर होते हैं।
तिल का तीसरा प्रयोग
पूर्व की तरफ मुंह करके पांच मुट्ठी तिलों से 108 बार ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप तिल के तीसरे प्रयोग से करें। साथ में आहुति भी दें। मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति व्यक्ति को होगी।
तिल का चौथा प्रयोग
तर्पण करके तिल का चौथा प्रयोग करें। दक्षिण दिशा की तरफ आप अपना मुंह करके ब्राह्मण के साथ खड़े हों और तिल से पितरों का तर्पण करें। पितरों का आशीर्वाद ऐसा करने से मिलेगा और जीवने में जो भी अनावश्यक परेशानियां आपके आ रही हैं और बाधाएं वह दूर हो जाएंगी।
तिल का पांचवां प्रयोग
दान करके तिल का पांचवा प्रयोग करें। महाभारत में बताया गया है कि ऋषि-मुनि, गरीबों को तिल का दान जो भी व्यक्ति माघ के महीने में करता है उसे कभी भी नरक के दर्शन नहीं होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि माघ मास में जितने भी तिलों का दान करते हैं तो व्यक्ति को स्वर्ग में रहने का अवसर उतने हजारों साल तक प्राप्त होता है।
तिल का छठवां प्रयोग
खाने में तिल का छठवां प्रयोग करें। भगवान विष्णु को तिलयुक्त भोजन शाम के समय बनाकर भोग लगाएं और फिर उसका सेवन कर लें। तिलयुक्त फलाहारी इस दिन पूजा में रखनी चाहिए और ब्राह्मणों को भी तिलयुक्त फलाहार कराएं।