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शीतला अष्टमी : रोगों को दूर करती है शीतला माता,भूलकर भी इस दिन ना करें ये 4 काम

शीतला अष्टमी का पर्व होली के आठवें दिन मनाया जाता है। इसे बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस दिन माता शीतला को बासे भोजन का भोग लगाया जाता है।

जो लोग शीतला माता की सच्चे मन से पूजा करते हैं उनके घर से बीमारियां कोसों दूर हो जाती है। यही नहीं पूजा करने से निसंतान के घर संतान की किलकारियां भी गूंजने लगती हैं।
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सूर्य के करीब आने से पृथ्वी पर गर्मी बढ़नी शुरू होती है। जब गर्मी बढ़ेगी और इंसान के शरीर का तापमान भी बढ़ेगा इसलिए शरीर को शीतल रखने के लिए और तरह तरह की बीमारियों से रक्षा के लिए शीतला सप्तमी मनाई जाती है।शीतला सप्तमी को ही शरीर को शीतलता प्रदान करने वाले भोजन दाल भात पूड़ी, दही की लस्सी, हरी सब्ज़ियां बनाई जाती है जो अगले दिन ठंडी और बासी खायी जाती है और दूसरे दिन शीतला अष्टमी मनाई जाती है।आइए जानते हैं इस दिन कौन से काम भूलकर भी नहीं करने चाहिए।
माना जाता है कि इस दिन जो महिला माता का व्रत रखती है और उनका श्रद्धापूर्वक पूजन करती हैं, उनके घर में धन धान्य आदि की कोई कमी नहीं रहती। उनका परिवार और बच्चे निरोगी रहते हैं।
इस दिन क्या न करें :
 
1. इस दिन घर में ताजा भोजन नहीं बनाया जाता। भोजन को एक रात पहले बनाकर माता को भोग लगाया जाता है।
 
2. जिस घर में चेचक से कोई बीमार हो उसे यह व्रत नहीं करना चाहिए।
 
3. इस दिन गर्म भोजन नहीं किया जाता है। बासी भोजन का सेवन ही करना चाहिए।
 
4. सप्तमी और अष्टमी के दिन बाल नहीं धोते हैं।
 
5. इस दिन सिलाई नहीं करते हैं और न ही सुई में धागा पिरोते हैं।
 
6. इस दिन चक्की या चरखा नहीं चलाते हैं।

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