हर साल होली के सातवें दिन चैत्र माह के कृष्णपक्ष की सप्तमी तिथि को शीतला सप्तमी की पूजा की जाती है। इस दिन बासी भोजन खाने की परंपरा होती है। उत्तर भारत में शीतला सप्तमी को बसौड़ा या बसियौरा भी कहा जाता है। इस साल शीतला सप्तमी 15 मार्च को पड़ रही है। इसके लिए सप्तमी की रात को बासी भोजन बनाया जाता है और सुबह शीतला माता की पूजा कर प्रसाद के रुप में खाया जाता है। इस दिन शादीशुदा महिलाएं शीतला माता की पूजा करके अपने परिवार की सुख-शांति की कामना करती हैं।
शीतला सप्तमी की पूजा विधि
इस दिन सुहागिन महिलाएं सुबह 4 बजे उठकर माता शीतला की पूजा करती हैं। इस दिन महिलाएं मीठे चावल,हल्दी,चने की दाल और लोटे में पानी लेकर पूजा करती हैं। शीतला माता को पूजने के लिए सुबह उठकर सबसे पहले स्नान और साफ कपड़े पहनने के बाद शीतला माता की पूजा की जाती है। ध्यान रहे पूजा के समय पूजा के वक्त ‘हृं श्रीं शीतलायै नमः’ का उच्चारण करते रहें और रात के बने गुड़ के चावल से माता को भोग लगाएं। व्रत में इन्हीं चावलों को आप भी ग्रहण करें।
शीतला सप्तमी मुहूर्त
शीतला सप्तमी 2020 तिथि 15 मार्च 2020
शीतला सप्तमी पूजा मुहूर्त – सुबह 6 बजकर 31 मिनट से शाम 6 बजकर 30 मिनट तक
सप्तमी तिथि प्रारम्भ – सुबह 4 बजकर 25 मिनट से (15 मार्च 2020)
सप्तमी तिथि समाप्त – अगले दिन सुबह 03 बजकर 19 मिनट तक (16 मार्च 2020)
शीतला सप्तमी का महत्व
कहा जाता है शीतला माता का ये व्रत करने से बच्चों की सेहत अच्छी रहती है। बच्चों को बुखार,आंखों के रोग और ठंड से होने वाली बीमारियां, चेचक, खसरा जैसे रोगों का प्रकोप नहीं रहता। इसके अलावा मान्यता यह भी है शीतला सप्तमी करने के बाद बासी भोजन नहीं खाना चाहिए,क्योंकि बासी भोजन का खाने का ये आखिरी दिन होता है। कहा जाता है कि इसके बाद मौसम गर्म हो जाता है इसलिए ताजा खाना खाते हैं।