लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

Pitru Paksha 2020: क्यों बनाए जाते हैं चावल से पिंड, जानिए पिंडदान में कुशा का क्या होता है महत्व

हिंदू धर्म में पितृपक्ष का महत्व बहुत खास है। पितृपक्ष भादप्रद महीने की पूर्णिमा तिथि से शुरु होते हैं और अश्विन माह की अमावस्या तिथि पर समाप्त होते हैं।

हिंदू धर्म में पितृपक्ष का महत्व बहुत खास है। पितृपक्ष भादप्रद महीने की पूर्णिमा तिथि से शुरु होते हैं और अश्विन माह की अमावस्या तिथि पर समाप्त होते हैं। पितृपक्ष 16 दिनों तक चलते हैं और पितरों के लिए यह दिन समर्पित किए गए हैं। 
1599113834 pitrupaksh
इस साल पितृपक्ष 2 सितंबर को आरंभ हो चुके हैं और 17 सितंबर तक यह चलेंगे। पितृपक्ष में पितरों का आशीर्वाद लेने के लिए उनका तर्पण करना होता है। मान्यताओं के अनुसार, धरती पर पितर इस दौरान आते हैं। चलिए कुछ सवालों के जवाब जो पितृ पक्ष से जुड़े हैं वह बताते हैं। 
चावल के पिंड क्यों बनाए जाते हैं पिंडदान करते समय
दरअसल तासीर चावल की ठंडी होती है। यही वजह है कि चावल के पिंड पितरों को शीतलता प्रदान करने के लिए बनाते हैं। काफी लंबे समय तक चावल के गुण रहते हैं और संतुष्टि पितरों को लंबे समय तक मिलती हैं। हालांकि जौ, काले तिल इनको भी पिंड में बनाने में चावल के साथ इस्तेमाल करते हैं। पयास अन्‍न भी कहते हैं जो चावल के पिंड से बना होता है। पयास अन्‍न चावल और तरल से मिलकर बनता है। प्रथम भोग इसे माना गया है। 
1599113912 pind chawal
कुशा क्यों पहनी जाती है श्राद्ध के समय उंगली में
शीतलता प्रदान करने के गुण कुशा और दूर्वा दोनों में होते हैं। घास को कुशा बहुत पवित्र मानते हैं। पवित्री भी इसे कहते हैं। इसी वजह से हाथ में कुशा श्राद्धकर्म करने से पहले पवित्रता के लिए धारण करते हैं। 
1599113957 pindaan kusha
क्यों कराया जाता है गाय, कुत्ते और कौए को भोजन
सनातन धर्म के अनुसार, देवी-देवताओं का वास गाय में होता है। इसी वजह से गाय को भोजन हर कार्य में कराना जरूरी माना गया है। जबकि पितरों का रुप कौए को बताया गया है। मान्यताओं के अनुसार, पितरलोग या यमलोग में हमारे पितर वास करते हैं। वहीं यम का संदेशवाहक भी कौए को माना गया है। श्वानि यानी कुत्ते यम के साथ रहते हैं। यही वजह है कि ग्रास खिलाने का प्रावधान कुत्ते को दिया गया है। 
1599114040 crow
दोपहर का समय ही श्राद्धकर्म के लि श्रेष्ठ है
सूर्य की किरणे पृथ्वी पर तेज और सीधी दोपहर के समय पड़ती हैं। मान्यता है कि सूर्य के प्रकाश में श्राद्ध को पितर सही प्रकार से ग्रहण करते हैं। अग्नि का प्रयोग यानि हवन यज्ञ देवताओं को जिस तरह से भोग लगाने के लिए किया जाता है उसी तरह से पितरों तक भोजन भी सूर्य के प्रकाश के द्वारा पहुंचाते हैं। 
1599114100 shradh
खीर श्राद्ध में बनाई जाती है। पिंड जो चावल से बनते हैं उन्हें पयास अन्न कहते हैं। ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि तरल और चावल से मिलकर यह बनता है। उसी प्रकार से पयास अन्न खीर को भी कहा गया है। चावल और दूध से यह बनाते हैं। 
1599114180 kheer
खीर भी पितरों को पके हुए भोजन में भोग के रूप में देते हैं। मान्यताओं के अनुसार, कभी अकेले खीर को नहीं बनाया जाता है। इसी वजह से पूड़ी भी इसके साथ बनाते हैं। हमारे यहां पितर अतिथि के रूप में पितृपक्ष में आते हैं और उन्हें भोग में हम खीर-पूड़ी लगाते हैं। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

18 − eighteen =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।