दुनिया में सिखों जैसी सेवा कोई नही कर सकता,,, एक छोटा सा उदहारण ???? वाहेगुरू#GuruNanakJayanti #Gurunanakji #GuruNanak550@iSinghApurva @TajinderBagga pic.twitter.com/k3MAd3ftMc
— Anil Sharma BJP (@AnilSharma4BJP) November 12, 2019
1.
मैंने अकेले ही साइकिल से पूरे भारत का साढ़े तीन साल में भ्रमण किया……
सिक्ख धर्मों के पूरे भारत की गली-गली में अगर लंगर न खुले होते तो मेरा भूखों मरना तय था…
इनके लंगर पूरे भारत में अक्सर ऐसी जगह ज्यादा हैं जहां आप पानी पीने की भी आशा नहीं रखेंगे लेकिन वहां लंगर चल रहे हैं।— Maithil Vanwasi Maharaj Ji (@DaasiJ) November 12, 2019
2.
मैं खुद को सिख बंधुओ से अलग नहीं समझता लेकिन छोटे कस्बों और गाँवो में हर व्यक्ति के अंदर ये सेवा भाव भरा हुआ है।
कभी रेगिस्तान में भरी दुपहरी में गर्मी के मौसम में देखना एक सुनसान से गाँव मे भी बस स्टैंड पर पानी की बाल्टी लिये लोग तैयार रहते है ताकि यात्री पानी पी सके। ♥️????
— Undisputed RJ No.1 ? (@NoUndisputed) November 12, 2019
3.
ना कोई शर्म ना कहीं घमंड ।।
निस्वार्थ सेवा करना।। आपसी सद्भाव , प्रेम ।।
?????— Sandeep Rajput?? (@1212Sandeep) November 12, 2019
4.
विभिन्न धर्मों के अनेक ग्रंथों में अनुसरणीय बातें लिखी है। लेकिन सिख उनको दिल से मानते भी है और पालन भी करते हैं। एक 5 साल का सरदार भी जिस मासूमियत और लगन से गुरुद्वारे में योगदान करता है, वह लोगों की नज़र से छुपा नहीं है। #GuruNanakJayanti #GuruNanakJayanti550
— Anubhav Sharma (@Anubhav89628243) November 12, 2019
5.
सिख तो पकड़ पकड़ कर खाना खिलाते हैं…. होली के समय जगह जगह लंगर लगता है..ट्रकों में आनंदपुर साहिब जाने वाली संगत अगर पहली जगह रुक का लंगर खा लेती है तो आगे वो रुकना नहीं चाहती… पर आगे वाले ट्रक पर चड़ जाते हैं और रोक कर ही मानते हैं…. होली के समय तो सब देखने वाला रहता है ?
— निक्की❤ (@bharat_varash) November 12, 2019