एचआईवी पॉजिटिव लोगों के प्रति आज भी समाज में बहुत क्रूर व्यवहार किया जाता है। इन लोगों के साथ भेदभाव आज भी समाज के लोग करते हैं। इतना ही नहीं एचआईवी लोगों को उनके परिवार वाले मरने के लिए छोड़ देते हैं।
तमिलनाडु के एक शख्स ने 45 एचआईवी बच्चों को अपनाया है और उनका अप्पा बनकर उनकी देख-भाल की है। इस शख्स का नाम सोलोमन राज है और इन्होंने अपने शेल्टर ट्रस्ट में इन बच्चों को जगह दी है। इस पर जब राज ने बात की तो उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी मिलती है अच्छा काम करने में और खासताैर पर जब यह बच्चे उन्हें अप्पा बोलाते हैं।
इन बच्चों को पढ़ाई, मेडिकल केयर, क्राफ्ट में ट्रेनिंग, आटर्स, डांस और कंप्यूटर की शिक्षा इस शेल्टर होम में दी जाती है। इस शेल्टर होम में कई बच्चे 11वीं और 12वीं क्लास में पढ़ रहे हैं और इसमें से 7 बच्चे अपनी ग्रैजुएशन की पढ़ाई कर रहे हैं।
यह चाहत हमेशा से थी
दरअसल सोलोमन की शादी के 8 साल बाद भी उनका कोई बच्चा नहीं था। सोलोमन ने अपनी चाहत के बारे में बात करते हुए कहा, हम बच्चा गोद लेने के बारे में सोच रहे थे। उसी दौरान हमारा अपना बच्चा हो गया जिसके बाद हमने बच्चा गोद लेनेे का विचार छोड़ दिया। हालांकि, मुझे बुरा लगता था कि मैं हमेशा से एक एचआईवी पॉजिटिव बच्चे को गोद लेना चाहता था लेकिन ऐसा मैं कर नहीं पाया था। इसी वजह से पहले मैंने एक एचआईवी पॉजिटिव बच्चे को गोद लिया उसके बाद यह सिलसिला मैंने जारी रखा।
कई परेशानियां आईं लेकिन कदम थमे नहीं
अब 45 बच्चों के सोलोमन पिता हैं। सोलोमन बताते हैं कि वह इन बच्चों की आर्थिक रूप से लेकर बाकी सारी परेशानियां में मदद करते हैं। कई बार तो इन बच्चों की तबीयत को लेकर वह चिंतित हो जाते हैं।
इन सारी चीजों के बाद भी वह अपने इस नेक काम को करने में जुटे हैं। अप्पा की एक 11वीं कक्षा में पढ़ने वाली बेटी है जो बड़े होकर डॉक्टर बनना चाहती है ताकी वह लोगों की मदद कर सके।