भारतीय रेलवे दुनिया में सबसे बड़ा रेल नेटवर्क माना जाता है और इस नेटवर्क की बहुत सी ऐसी खासियतें है जिनसे लोग अनजान है। ट्रेनों से जुड़े कई ऐसे तथ्य है जिनके बारे में हम नहीं जानते पर अगर आपको बह अपनी जनरल नॉलेज तेज़ करनी है तो ये रोचक जानकारियां आपके लिए बेहद अहम् हो सकती है।
आपने रेलों में काफी सफर किया होगा पर कभी आपने गौर भी किया होगा की ट्रैन में सफर के दौरान अलग अलग तरह के हॉर्न बजाये जाते है। क्या आप लोगों ने कभी सोचा है की ट्रेन चालक अलग-अलग तरीकों से हॉर्न को क्यों बजाता है और इसका मतलब क्या होता है।
ट्रेन अलग-अलग तरीकों से हॉर्न को बजाती है, कभी लम्बा हॉर्न तो कभी रुक-रुक कर शार्ट हॉर्न। आज हम आपको बताते है ऐसा क्यों किया जाता है। ट्रैन चालक को हर तरह के हॉर्न के बारे में ट्रेनिंग दी जाती है लेकिन लोगों के लिए जानना बभी बेहद जरुरी है क्योंकि सफर तो हमे ही करना है।
वन शार्ट हॉर्न: इस तरह के हॉर्न को आप लोगों ने मुश्किल ही सुना होगा क्योंकि इस हॉर्न का मतलब होता है की ट्रेन का अब यार्ड में जाने का समय आ गया है। यानि की अगली यात्रा के लिए ट्रेन की सफाई करने का वक्त हो गया है।
टू शार्ट हॉर्न: इस तरीके के हॉर्न का मतलब होता है की ट्रेन अब यात्रा पर जाने के लिए तैयार है। इसे आप लोगों ने यात्रा करते समय जरूर सुना होगा। क्योंकि ट्रेन जब भी स्टेशन से निकलने वाली होती है तब इस तरीके से हॉर्न को बजाती है।
थ्री स्मॉल हॉर्न: इस तरीके के हॉर्न को बहुत ही कम बजाय जाता है और ये मोटरमैन के द्वारा बजाया जाता है। जिसका मतलब होता है की मोटर मैन का इंजन से संपर्क टूट गया है और इस हॉर्न से पीछे बैठे गार्ड को निर्देश दिया जाता है की वो वैक्यूम ब्रेक लगाए और गाड़ी को रोके।
फोर स्मॉल हॉर्न: ट्रेन यदि चार छोटे हॉर्न दे तो आप समझ जाइये की ट्रेन में कोई टेक्निकल खराबी हो गई है और अब ट्रेन आगे नहीं बढ़ सकती।
लगातार लम्बा बजने वाला हॉर्न: इस तरीके के हॉर्न का मतलब होता की ट्रेन स्टेशन पर रुकेगी नहीं और यात्री जान सकें की ट्रेन का ये स्टॉप नहीं है।