देहरादून : राज्य के सुगम क्षेत्रों में जरूरत से ज्यादा कार्यरत प्राथमिक शिक्षकों को अब दुर्गम क्षेत्र की ओर दौड़ लगानी पड़ेगी। अब तक ऐसा राज्य सरकार के आदेश से भले ही नहीं हो सका हो, लेकिन मानव संसाधन विकास पर गठित पार्लियामेंट स्टेंडिंग कमेटी की सिफारिशों के चलते राज्य सरकार को यह कदम उठाना पड़ेगा। पार्लियामेंट स्टेंडिंग कमेटी की सिफारिशों के आधार पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग की निदेशक राशि शर्मा ने सभी राज्यों के शिक्षा सचिवों को आदेश जारी किए हैं।
आदेश में शिक्षा की गुणवत्ता के लिए सभी प्राथमिक विद्यालयों खासतौर पर दूरदराज के विद्यालयों में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत शिक्षकों की अधिकतम तैनाती करने को कहा गया है। इसके लिए शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के निर्देश भी दिए गए हैं। साथ ही इस संबंध में एक्शन टेकन रिपोर्ट से एमएचआरडी को भी सूचित करने को कहा गया है। दरअसल, विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड राज्य में सुगम क्षेत्रों में निर्धारित से अधिक संख्या में शिक्षक कार्यरत हैं, जबकि दुर्गम क्षेत्रों में छात्र-शिक्षक अनुपात से कम संख्या शिक्षकों की बताई जा रही है।
एमएचआरडी के निर्देशों के मुताबिक अब इन दूरदराज व दुर्गम के प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को दूर करना सरकार की बाध्यता हो गई है। हालांकि, शिक्षा महकमे के आंकड़ों पर गौर करें तो राज्य में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के प्राथमिक शिक्षकों के 625 पद रिक्त हैं। इस बैकलॉग को भरने के निर्देश सरकार की ओर से दिए जा चुके हैं।
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