दफ्तर में एक लम्बी शिफ्ट कर लेने के बाद शरीर में जरा सी भी हिम्मत नहीं होती की दूसरा कोई काम करने को आपका मन गवाही दे। लेकिन कोरोना वायरस से संक्रमण से लड़ने के लिए कई सारे जांबाज हैं,जिन्होंने दिन-रात एक करके इस महामारी को हराने में पूरी जी-जान से जुटे हुए हैं। ऐसा ही एक नाम है बी. अमरेश्वरी का जो एक महिला कॉन्स्टेबल हैं। बता दें कि ये बहादुर महिला जब अपनी 15 घंटे की लंबी शिफ्ट के बाद घर लौटती हैं तब ये कोई आराम नहीं फरमाती हैं बल्कि सिलाई मशीन उठती हैं और जरूरतमंद लोगों के लिए कपड़े के मास्क सिलने बैठ जाती हैं। दिलचस्प बात यह है कि अमरेश्वरी अब तक तीन हजार मास्क बनाकर लोगों में मुफ्त बांट चुकी है।
दिन की शुरुआत होती है सुबह 3:30 बजे
इस महिला कॉन्स्टेबल के दिन की शुरुआत सुबह 3:30 बजे होती है। सुबह उठकर पहले वह खाना पकाती हैं और अपना लंच पैक करती हैं। इसके बाद गवर्नर के घर Kattedhan जाने के लिए अपने घर से 5:30 बजे निकल जाती हैं। जिसके बाद वो रात को 9:30 बजे वापस घर लौटती हैं और फिर रात में मास्क सिलने के लिए बैठ जाती हैं। इस बीच खास बात यह है अमरेश्वरी जब तक 1 से 2 घंटे मास्क सिलने का काम ना कर लें उनको अपना दिन अधूरा सा लगता है। बता दें अमरेश्वरी तेलंगाना गर्वनर की पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर के लिए काम करती हैं। उनकी ड्यूटी अल्टरनेट डेज में होती है। इनके परिवार में पिता, मां और दादी शामिल हैं। इतना बिजी शेड्यूल होने के बावजूद भी यह महिला अपने परिवार की देखभाल भी करती हैं।
इसलिए मास्क बनाये
एक वेब पोर्टल से बात करते हुए अमरेश्वरी ने बताया कि उन्होंने राज्य में कोविड-19 के मामले आने के एक हफ्ते बाद से ही मास्क बनाने शुरू किए। इसकी सबसे बड़ी वजह यह रही की आम लोगों के बीच मास्क की कमी होने लगी जिस वजह से मास्क की कीमतों में इजाफा होने लग गया। महिला कॉन्स्टेबल का कहना है मैं एक अच्छी दर्जी नहीं हूं। लेकिन मुझे सिर्फ मास्क बनाना आता है क्योंकि यह मैंने बनाना सीख लिया है, ताकि मैं लोगों की मदद कर सकूं। उन्होंने बताया की मेरी हर दूसरे दिन ऑफिस की छुट्टी होती है और इस दिन मैं मास्क बनाती हूं। यहां तक ड्यूटी के बाद भी सिलती हूं और मैंने अपनी मां की मदद लेकर अब तक करीब तीन हजार मास्क बनाकर तैयार किए हैं।मास्क बनाने के लिए मां ने कपड़ा काटने में बहुत सहायता करी है। मैं घर का सारा काम दो घंटे के अंदर खत्म कर मास्क बनाने के काम में लग जाती हूं।
लोगों के लिए मास्क तैयार करने के लिए अमरेश्वरी अपने एक दोस्त से कपड़ा खरीदती हैं और फिर घर पर खुद से सिलती हैं। जिसके बाद वो जब भी फ्री होती हैं तब इन मास्क को पड़ोसियों और साथियों की मदद से असहाय लोगों में बांट देती हैं। इस काम को करने में इस पुलिस ऑफिसर को खुशी मिलती है।