इस दुनिया में आपको ऐसे टीचर कम मिलेंगे जिन्हें गुरुओं का दर्जा दिया जा सके। वैसे तो कोई दिन गुरुओं को नमन करने का नहीं होता है लेकिन हर साल टीचर्स डे के तौर पर 5 सितंबर को मनाया जाता है। अगर आप चाहें तो हर दिन अपने गुरु को सच्चे दिल से नमन कर सकते हैं।
अक्सर कई ऐसे गुरुओं की कहानी सोशल मीडिया के जरिए हमारे सामने आती है जिसे देखकर दिल से उन्हें सलाम किया जाता है। आज शिक्षक दिवस पर हम इन्हीं गुरुओं की कहानी आज आपके लिए लेकर आए हैं। केवल क्लासरूम तक ही इन टीचर्स की दुनिया सीमित नहीं रही है। दरअसल अपने छात्रों को बेहतर बनाने के लिए इनका सीखने और सीखाने का जज्बा बहुत टीचर्स से अलग रहा है। चलिए जानते हैं इन गुरुओं के बारे में-
अन्नपूर्णा मोहन
तमिलनाडू के पंचायत यूनियन प्राइमेरी स्कूल में अन्नपूर्णा मोहन अंग्रेजी की टीचर थीं। उन्हें सुविधाओं को लेकर ऐसा एहसास एक दिन हुआ कि कक्षा में नहीं हैं और इस वजह से वह अपने छात्रों को अंग्रेजी बेहतर तरीके से नहीं पढ़ा पाएंगी। उसके बाद उन्होंने छात्रों को अच्छे से पढ़ाने के लिए स्मार्टबोर्ड और छात्रों के लिए नया फर्नीचर अपनी ज्वैलरी बेचकर उन्होंने खरीदा।
ए.टी.अब्दुल मलिक
पिछले 20 सालों से अब्दुल मलिक गणित बच्चों को पढ़ाते हैं। वह गणित के टीचर हैं। केरल स्थित पदिनजट्टुमुरी के एएमएलपी स्कूल में रोजाना तैरकर बच्चों को वह पढ़ाने के लिए जाते हैं। उनके इस जुनून के बारे में जब पूरी दुनिया को पता चला तो उनको फाइबरग्लास की नांव इंग्लैंड के एक डॉक्टर ने उन्हें दान में दी जिससे वह रोजाना आराम से स्कूल पहुंच सकें।
राजेश कुमार शर्मा
बता दें कि इंजीनियर बनने का सपना राजेश शर्मा का था। मगर वह यह सपना आर्थिक तंगी के कारण पूरा नहीं कर पाए। हालांकि मेट्रो के पूल के नीचे अब राजेश फ्री में स्कूल चलाते हैं और गरीब बच्चों को अपनी क्लास में पढ़ाते हैं। पूर्वी दिल्ली के शकरपूर में साल 2010 में उन्होंने यह स्कल खोला था और अब तक चल रहा है। कई टीचर उनके इस नेक काम में आगे आकर आज मदद कर रहे हैं।
डॉ.रहमान खान
हजारों रूपए की फीस यूपीएससी की कोचिंग करने में खर्च होते हैं। लेकिन ऐसे बच्चे भी होते हैं जो इतनी हजारों की फीस वाली कोचिंग अफोर्ड नहीं कर पाते हैं। ऐसे बच्चों के लिए Dr Motiur Rahman Khan फरिश्ता बनकर आए हैं। मेडिकल, इंजीनियरिंग, यूपीएससी और बैंकिंग की कोचिंग वह मात्र 11 रूपए की गुरु दक्षिणा के तौर पर लेकर पढ़ाते हैं।
राजाराम
राजाराम का किस्सा सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हुआ था। इन्होंने बस का स्टीयरिंग तक अपने छात्रों को पढ़ाने के लिए पकड़ लिया था। कर्नाटक के उडुपी का गर्वमेंट हायर प्रायमेरी स्कूल में जब पैसों की तंगी हो गई थी तो छात्रों को उनके घर पहुंचाने के लिए खुद फिजिकल विषय के अध्यापक राजाराम बस ड्राइवर बन गए थे। इसके अलावा स्कूल में अघ्यापकों की कमी हो रही थी तो उन्होंने विज्ञान और गणित तक बच्चों को पढ़ाना शुरु कर दिया था।
बिजेंद्र सिंह
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज वीवीएस लक्ष्मण ने एक टीचर के बारे में ट्वीट करके बताया था। उन्होंने ट्वीट में लिखा था, मिलिए ब्रिजेंद्र से, जो एक असली हीरो हैं। वह देहरादून के एक एटीएम में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते हैं। आर्मी से रिटायर्ड होने के बाद वह देश की सेवा के लिए काम कर रहे हैं। जी हां, ब्रिजेंद्र गार्ड की नौकरी के साथ आस-पास के गरीब बच्चों को पढ़ाने का भी काम करते हैं। यह बच्चे शाम के वक्त आते हैं और बिजेंद्र उन्हें एटीएम की रौशनी में पढ़ाते हैं। मैं उनके इस बेहतरीन कार्य के लिए सलाम करता हूं।
Meet a true hero Brijendra , who works as a security guard at an ATM in Dehradun. Having retired from the army, he still continues to serve the nation, he teaches children from nearby slums in the evenings under the ATM lights. Salute to an incredible man 🙏🏼 pic.twitter.com/vNobfOvBzH
— VVS Laxman (@VVSLaxman281) August 24, 2018