हमारे देश में जब-जब जहर की बात होती है तो “पोलोनियम” का ही नाम सबसे पहले जुबान पर आता है। नहीं ऐसा नहीं है….आप बिल्कुल गलत समझे हैं। “पोलोनियम” जहर दुनियां में मशहूर है लेकिन अब मार्केट में इसके भी बाप आ गए हैं। यानी अब इससे भी ज्यादा खतरनाक जहर दुनिया में मौजूद है। इसका नाम है “स्ट्रिक्नाइन”। इसे कुछ लोग स्ट्रिकनीन और या स्ट्राइकिन कहकर भी बुलाते हैं
वैसे तो जहर एक नकारात्मक चीज है। इसे हमारा भारतीय समाज गलत भावनाओें से मानता है। साथ ही इससे लोग नफ़रत भी करते हैं। इसका इस्तेमाल लोग तब करते हैं जब वो किसी मुसीबत में हैं और वो इस दुनिया से अब ऊब चुके हैं। जब कोई व्यक्ति या कहें कोई आदमी किसी परेशानी की वजह से इस दुनिया से अलग यानी दूर चले जाना चाहता है तब वह इस जहर का इस्तेमाल करता है। यह जहर आदमी को तड़पा-तड़पा कर मारता है।
रूस करता था गुप्त तरीके से इस जहर का इस्तेमाल
यही वह जहर है जो इंसान के तिल-तिल तड़पाकर अकाल मृत्यु की ओर धकेलता है। यह पहले धीरे-धीरे मांस को मानव हड्डियों से अलग करता है। उसके बाद जब तक मानव शरीर में इसकी मौजूदगी का पता चलता है, तब तक यह जहर व्यक्ति को अकाल मृत्यु के कगार पर पहुंचा चुका होता है। यह भी कहा जाता है कि रूस अक्सर इस जहर का इस्तेमाल दर्दनाक मौत के जरिए दुश्मनों को खत्म करने में करता था लेकिन गुप्त तरीके से। हालांकि, रूस ने कभी भी इस तथ्य को खुले तौर पर स्वीकार नहीं किया।
पाउडर की तरह दिखता है स्ट्राइकिन
स्ट्राइकिन वास्तव में एक पाउडर की तरह है, जिसे एक विशेषज्ञ के अलावा कोई भी आसानी से नहीं पहचान सकता है। ब्रिटेन में यह पूरी तरह प्रतिबंधित है। डेली स्टार की एक रिपोर्ट के अनुसार, जब रूसी व्हिसलब्लोअर अलेक्जेंडर पेरेपिलिचनी लंदन में मृत पाए गए, तो उन्हें यह स्ट्राइकिन उसके साथ मिला। हालांकि, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और अन्य जांच के दौरान उसके शरीर में स्ट्राइकिन की मौजूदगी की कोई पुष्टि नहीं हुई थी।
यह जहर इंसान को न जीने देता है और न मरने देता
उस घटना के बाद लेकिन ब्रिटिश सरकार ने यहां इस खतरनाक जहर पर रोक लगा दी थी। ऐसे तमाम रासायनिक जहरों में महारत हासिल करने वाले विशेषज्ञ डॉ. नील ब्रैडबरी कहते हैं, ”यह जहर इंसान को ज्यादा समय तक जीने नहीं देता। मरने भी नहीं देता। और अंत में यह धीमी गति से हमेशा के लिए इंसान के जीवन को छीन लेता है। संक्षेप में, इसे एक बहुत ही खतरनाक और घातक रसायन भी कहा जा सकता है।
आसानी से निगला जा सकता है यह जहर
एक शोध के अनुसार अगर यही रासायनिक जहर इंसानों की दर्दनाक अकाल मृत्यु का कारण बनता है। तो साथ ही यह इंसान की भावना को बढ़ाने का कारक भी साबित होता है। मानव शरीर में इस जहर की मौजूदगी से उसके अंग धीरे-धीरे सिकुड़ने लगते हैं। उस हद तक एक दिन ऐसा भी आता है जब यह जहर इंसान की हड्डी और उसके मांस को एक दूसरे से अलग कर देता है। डॉ. ब्रैडबरी के अनुसार, जिनके पास बायोकैमिस्ट्री और मेडिकल बायोकैमिस्ट्री में डिग्री है और उन्होंने ‘ए टेस्ट फॉर पॉइज़न: इलेवन डेडली सब्सटेंस एंड द किलर हू यूज्ड देम’ किताब लिखी है, डॉ. ब्रैडबरी ने किताब में यह भी लिखा है कि इस जहर को निगला जा सकता है। .