भारत में नदियों की मां की तरह पूजा जाता है। गंगा और यमुना और सभी नदियों को यहां मां का दर्जा दिया जाता है। लोग ना सिर्फ नदियों के पानी का इस्तेमाल अपनी डेली लाइफ में करते हैं बल्कि नदियों के पानी की पूजा भी करते हैं। गंगा के पानी के यूज के बिना तो हिन्दू धर्म में हर पूजा को अधूरी माना जाता है और इसी वजह से भगवान शिव ने भी इन्हें अपने सिर पर ताज की तरह सजाया है।
मगर आज हम आपको भारत की एक ऐसी नदी के बारे में बताने वाले है जिसे शापित माना जाता है। वैसे तो भारत में एक से बढ़कर एक नदी है लेकिन इस नदी की गिनती भारत की दूषित और शापित नदी में होती है। इस नदी को देश की पवित्र नदियों में शामिल नहीं किया गया है। इस नदी का नाम चंबल है और ये मध्य और उत्तरी भारत में 800 किमी से अधिक बहती है।
इस नदी को जहां पूजा नहीं जाता है और लोग इसे शापित मानते है और इसके किनारे को खतरनाक बंजर भूमि माना जाता था। मगर साल 1979 में, सरकार ने 400 किमी नदी तट को एक राष्ट्रीय अभयारण्य घोषित किया, जिसने गंभीर रूप से लुप्तप्राय घड़ियाल आबादी को कुछ सौ से अनुमानित हजार से अधिक तक पुनर्जीवित करने में मदद की।
जहां पवित्र नदियां गंगा और यमुना दोनों की प्रदूषित नदियां हैं। वहीं, चंबल अपवित्र नदी के होने के बावजूद सबसे ज्यादा प्रदूषण रहित नदी का दावा करती है। नदी के किनारे ठंडे खून वाले घड़ियाल, एक सियार, कुछ जंगली बिल्लियाँ नदी के किनारे देखे जा सकते हैं। नारंगी चोंच वाले भारतीय स्किमर पक्षी सूर्यास्त के समय यहां नजर आते हैं।
भारत की ये नदी आज की नहीं बल्की सदियों पुरानी है। कहा जाता है कि एक बार यहां के राजा रंतिदेव ने बड़ी संख्या में जानवरों की बलि दी और उनका सारा खून इसी नदी में बहवा दिया था। इसकी वजह से इस नदी का पूरा पानी लाल हो गया और ये दूषित हो गई। तभी से इसे शापित नदी कहा जाता है और इसका इस्तेमाल करने से बचते है लेकिन आज इस नदी से पूरा इलाका अपनी जीवन यापन कर रहा है।
वहीं, चंबल नदी को महाभारत में चर्मण्यवती के रूप में दर्ज किया गया है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, कहा गया है कि महाभारत के पांच पांडवों की पत्नि द्रौपदी ने एक बार इस नदी को किसी कारणवश श्राप दे दिया था। इसी वजह से इस नदी की गिनती भारत की पवित्र नदियों की लिस्ट में होती है। भले ही आज लोग इसका इस्तेमाल करते हैं, लेकिन कोई इसे पूजता नहीं है।