जैसा की आप और सभी को मालूम है कि इन दिनों चैत्र नवरात्रि का पर्व चल रहा है। नवरात्रि के नौ दिन भक्त देवी मां की आराधना करते हैं साथ ही व्रत और उपवास भी करते हैं। यदि नवरात्रि के दिनों में मां की आराधना सही तरीके से कर ली जाए तो आपकी मांगी हुई मनोकामना पूरी हो जाती है।
इसके साथ ही विशेष शक्तियों का आभास भी होता है। देवी मां की पूजा अर्चना घर और मंदिर दोनों जगह ही की जा सकती है। यदि आपके भाव सच्चे हो तो मां अपने भक्तों को कभी भी नाराज नहीं करती है। इसके साथ ही कई सारी जगहें ऐसी भी हैं जहां पर देवी मां स्वयं निवास करती हैं।
जी हां आपको बता दें कि जो भक्त नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा की पूजा और दर्शन करने के लिए इन जगहों पर जाते हैं तो उन्हें विशेष फल प्राप्त होता है। तो आइए जानते हैं देवी मां के कुछ ऐसे ही प्रसिद्घ मंदिरो के बारे में। जहां माता रानी की अपार कृपा बरसती है।
1.करणी माता मंदिर, राजस्थान
दुनिया में कई सारे ऐसे प्रसिद्घ मंदिर है जहां पर बार-बार जाने का मन करता है। एक ऐसा ही प्रसिद्घ मंदिर राजस्थान के बीकानेर से करीब 30 किलोमीटर दूर जोधपुर रोड पर गांव देशनोक की सीमा पर स्थित है। ये मां करणी देवी का विख्यात मंदिर है। ये तीरथ धाम होने के बावजूद इस मंदिर को चूहे वाले मंदिर के नाम से दुनिया के लोग जानते हैं।
2.दक्षिणेश्वर काली मंदिर, कोलकाता
हुगली नदी के किनारे कोलकाता में स्थित है ये मंदिर है जहां पर भक्तों की अगाध श्रद्घा का केंद्र है। ऐसा कहा जाता है कि जान बाजार की जमींदार रानी रासमणि को मां काली ने स्वप्न में दर्शन दिया इसके साथ ही मंदिर निर्माण कराए जाने का निर्देश भी दिया।
3.नैना देवी मंदिर, नैनीताल
नैनीताल में नैनी झील के पास देवी मां का यह अनुपम मंदिर स्थित है। ऐसी मान्यता है कि इसी झील में देवी सती के नेत्र गिरे थे। ये मंदिर शक्तिपीठ है। इस मंदिर में दो नेत्र है जो मां नैना देवी को दर्शाते हैं।
4.दंतेश्वरी मंदिर, छत्तीसगढ़
दन्तेवाड़ा का मशहूर दंतेश्वरी मंदिर। ये मंदिर हसीन वादियों के लिए प्रसिद्घ यह मंदिर प्राचीन मंदिर है। कहा जाता है कि यहां पर सती का दांत गिरा था जिसकी वजह से इस जगह का नाम दंतेश्वरी पड़ा।
5.कामाख्या देवी मंदिर, गुवाहाटी (असम)
कामगिरि मंदिर असम गुवाहाटी के कामगिरी पर्वत पर स्थित है यह शक्तिपीठ जहां पर माता का योनि गिरी था यहां की शक्ति कामाख्या है। ऐसा कहा जाता है कि देवी का योनि का हिस्सा गिरने की वजह से यहां माता रजस्वला भी होती है।