जब हॉस्पिटल ने पैसों की खातिर परिजनों को शव ले जाने नहीं दिया, तो लेना पड़ा कर्ज - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

जब हॉस्पिटल ने पैसों की खातिर परिजनों को शव ले जाने नहीं दिया, तो लेना पड़ा कर्ज

बीते सोमवार को राज अस्पताल के प्रबंधन ने मरीज की मौत के बाद उसके परिवाल वालों से बकाया पैसे लेने केलिए शव को रोक दिया।

बीते सोमवार को राज अस्पताल के प्रबंधन ने मरीज की मौत के बाद उसके परिवाल वालों से बकाया पैसे लेने केलिए शव को रोक दिया। मरीज के परिवाल वालों ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने पैसे लेने केलिए शव को रोक दिया।

Screenshot 17

मरीज के परिवार वालों ने आरोप लगाया था कि उनके पास आयुष्मान भारत योजना का कार्ड भी था लेकिन तब भी अस्पताल वालों ने 54 हजार का बिल उन्हें थमा दिया। परिवार वालों ने कहा कि उन्होंने अस्पताल प्रबंधन को पैसे देने के लिए 44 हजार रूपए का कर्ज लिया लेकिन इतने पैसे देने के बाद भी 10 हजार कम होने की बात पर अस्पताल प्रबंधन ने परिवार वालों को शव ले जाने ही नहीं दिया।

Screenshot 18

जिस इंसान का शव अस्पताल प्रबंधन ने रोका उसका नाम अमर सिंह था और वह सिंह मोड़ के रहने वाले थे। अमर सिंह हटिया रेलवे कैंटीन में काम करते थे। अमर सिंह को चक्कर आते थे। अमर सिंह के साथ रमेश सिंह काम करते थे और उन्होंने बताया कि बीते रविवार रात को जब उनका एमआरआई कराना था तो उन्हें राज अस्पताल लेकर आए थे।

0521 hos

अमर सिंह को उस दौरान हार्ट अटैक आ गया उसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया जिसके बाद उनकी इलाज करते समय ही मौत हो गई थी। बता दें कि आयुष्मान भारत का कार्ड अमर सिंह के पास था लेकिन अस्पताल ने तब भी उन्हें बिल दे दिया था। अमर सिंह के शव को लेने के लिए परिवार वालों ने आस-पास के लोगों से चंदा मांगा उसके बाद अस्पताल वालों ने परिवार वालों को शव दिया था।

अस्पताल वालों कि संवेदना 10 हजार रूपए के लिए भी नहीं जागी

इस मामले में राज अस्पताल के प्रबंधक योगेश गंभीर ने बात करते हुए कहा कि पैसों पर किसी भी तरह का विवाद नहीं है। अमर सिंह की मौत के बाद उनकी पत्नी ने कहा था कि वह सब लोग शव को रात में ले जांएगे और अब तक शव को मॉर्चरी रख दिया था। उसके बाद परिवार वाले सुबह आए और इलाज में खर्च हुए पैसे देकर अमर सिंह का शव ले गए।

Screenshot 20

अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि मरीज के परिवार वालों ने कोई भी शिकायत नहीं की थी। अमर सिंह का ओपीडी में एमआरआई हुआ जो कि आयुष्मान में कवर नहीं है। अस्पताल में आयुष्मान भारत या फिर किसी दूसरे बीमा योजना केलिए एक फार्म भरवाया जाता है। अमर सिंह के परिवार वालों से यह बीमा भरवाया गया था लेकिन वह इसे भरने भी आच्छादित नहीं हैं।

Screenshot 21

ट्रैफिक पुलिस वाले ने आंधी-तूफान के बीच भी नहीं छोड़ी अपनी ड्यूटी, लोगों ने की जमकर तारीफ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

6 − 4 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।