बीते सोमवार को राज अस्पताल के प्रबंधन ने मरीज की मौत के बाद उसके परिवाल वालों से बकाया पैसे लेने केलिए शव को रोक दिया। मरीज के परिवाल वालों ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने पैसे लेने केलिए शव को रोक दिया।
मरीज के परिवार वालों ने आरोप लगाया था कि उनके पास आयुष्मान भारत योजना का कार्ड भी था लेकिन तब भी अस्पताल वालों ने 54 हजार का बिल उन्हें थमा दिया। परिवार वालों ने कहा कि उन्होंने अस्पताल प्रबंधन को पैसे देने के लिए 44 हजार रूपए का कर्ज लिया लेकिन इतने पैसे देने के बाद भी 10 हजार कम होने की बात पर अस्पताल प्रबंधन ने परिवार वालों को शव ले जाने ही नहीं दिया।
जिस इंसान का शव अस्पताल प्रबंधन ने रोका उसका नाम अमर सिंह था और वह सिंह मोड़ के रहने वाले थे। अमर सिंह हटिया रेलवे कैंटीन में काम करते थे। अमर सिंह को चक्कर आते थे। अमर सिंह के साथ रमेश सिंह काम करते थे और उन्होंने बताया कि बीते रविवार रात को जब उनका एमआरआई कराना था तो उन्हें राज अस्पताल लेकर आए थे।
अमर सिंह को उस दौरान हार्ट अटैक आ गया उसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया जिसके बाद उनकी इलाज करते समय ही मौत हो गई थी। बता दें कि आयुष्मान भारत का कार्ड अमर सिंह के पास था लेकिन अस्पताल ने तब भी उन्हें बिल दे दिया था। अमर सिंह के शव को लेने के लिए परिवार वालों ने आस-पास के लोगों से चंदा मांगा उसके बाद अस्पताल वालों ने परिवार वालों को शव दिया था।
अस्पताल वालों कि संवेदना 10 हजार रूपए के लिए भी नहीं जागी
इस मामले में राज अस्पताल के प्रबंधक योगेश गंभीर ने बात करते हुए कहा कि पैसों पर किसी भी तरह का विवाद नहीं है। अमर सिंह की मौत के बाद उनकी पत्नी ने कहा था कि वह सब लोग शव को रात में ले जांएगे और अब तक शव को मॉर्चरी रख दिया था। उसके बाद परिवार वाले सुबह आए और इलाज में खर्च हुए पैसे देकर अमर सिंह का शव ले गए।
अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि मरीज के परिवार वालों ने कोई भी शिकायत नहीं की थी। अमर सिंह का ओपीडी में एमआरआई हुआ जो कि आयुष्मान में कवर नहीं है। अस्पताल में आयुष्मान भारत या फिर किसी दूसरे बीमा योजना केलिए एक फार्म भरवाया जाता है। अमर सिंह के परिवार वालों से यह बीमा भरवाया गया था लेकिन वह इसे भरने भी आच्छादित नहीं हैं।