लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

क्राइम की दुनिया में उतरी ये जुड़वा बहनें, एक को बचाने के लिए दूसरी ने चुनी रहस्यमयी मौत

कहानी उन दो जुड़वा बहनों की जिन्हें घर, परिवार और दोस्त किसी से भी कोई मतलब नहीं था। एक कमरे में बंद रहकर दोनों क्राइम स्टोरीज लिखतीं फिर उन्हें अंजाम देतीं. यही नहीं, एक बहन की जिंदगी बचाने के लिए दूसरी बहन ने तो अपनी जान तक दे दी।

जुड़वा भाई या बहन होना किसी के लिए भी अच्छी बात होती है क्योंकि उन्हें एक पार्टनर मिल जाता है जो उनकी तरह ही होता है जिससे वो अपने दिल की हर बात कर सकते हैं। मगर आज हम आपको ऐसी जुड़वा बहनों के बारे में बताने वाले है जिनका जुड़वा होना उन्हीं के लिए नुकसानदेह साबित हो गया। 
1685274113 2fmethode 2fsundaytimes 2fprod 2fweb 2fbin 2fc46f6b82 5bac 11ed 9a48 54549b73e939
11 अप्रैल 1963 में यमन के ब्रिटिश फोर्स एडन में गिबन्स परिवार में दो जुड़वा बहनों का जन्म हुआ। जुड़वा बेटियों के जन्म से परिवार काफी खुश था और उन्होंने उन दोनों का नाम जून गिबन्स और जैनिफर गिबन्स रखा गया।जून और जेनिफर से उनके माता-पिता काफी प्यार करते थे। मगर उनके अश्वेत होने की वजह से उनके साथ स्कूल में बहुत क्रू बर्ताव किया जाता था।
1685273992 ि
 दोनों को स्कूल में अकेले बैठाया जाता था और  श्वेत बच्चे मिलकर उनका जमकर मजाक भी उड़ाते थे। इस तरह धीरे-धीरे दोनों बहनें सिर्फ एक-दूसरे से ही बात करती थी और दोनों ने अपनी एक अलग भाषा भी बना ली थी जिसे उनके अलावा कोई समझ नहीं पाता था।स्कूल में दोनों को इतना परेशान किया गया कि एक दिन दोनों ने तंग आकर स्कूल ही छोड़ दिया।
1685274148 untitled project (1)
तब माता-पिता ने सोचा उनका अलग-अलग रहना ही ठीक है तो उन्हें अलग स्कूल में डाला गया। मगर उसके बाद हालात पहले से भी खराब हो गए। दोनों में सिजोफ्रेनिया नामक बीमारी के लक्षण नजर आने लगे। ऐसे में माता-पिता ने दोनों को साथ रखने का फैसला किया।बताते चले कि सिजोफ्रेनिया एक मानसिक बीमारी है, जिसमें रोगी को लगने लगता है कि कोई उनके विचारों को दूर बैठे नियंत्रित कर रहा है। 
इस बीमारी के दौरान मरीज वो सब दिखाई और सुनाई देता है जो होता ही नहीं है। दोनों बहनों ने खुद को एक कमरे में  मानो बंद ही कर लिया। दोनों अक्सर उसके अदंर ही रहने लगी। जहां वो कभी खिलौनों से खेलतीं तो कभी नोवेल लिखतीं थी। जून और जेनिफर के लेखन में हमेशा ही अग्रेशन नजर आता। दोनों बहने अक्सर ही क्राइम स्टोरी लिखती थीं। इन दोनों बहनों की एक-एक बुक पब्लिश भी हुई थी। 
1685274049 tyy
पेप्सी-कोला एडिक्ट को जून ने ही लिखी थी। इसमें एक 15 साल के लड़के की कहानी बताई गई है. इसमें उसकी एक प्रेमिका है और एक अच्छा दोस्त है जो उसके साथ क्रूरता करता है।  वहीं, जून ही नहीं जेनिफर ने भी पगिलिस्ट लिखी थी। पगिलिस्ट एक ऐसे डॉक्टर की कहानी है जो अपने बेटे को बचाने के लिए अपने ही कुत्ते को मारकर उसका दिल ट्रांसप्लांट करता है। ट्रांसप्लांट के बाद कुत्ते की आत्मा डॉक्टर के बेटे में आ जाती है और वो अपन बाप से बदला लेता है। 
1685274011 ू्बिब
इस बात से दोनों बहनें काफी निराश हो गई। इसके द्वारा नाम ना कमाने के चलते उन्होंने क्राइम के जरिए नाम कमाने का सोचा। इस तरह इन दोनों बहनों की क्राइम की दुनिया में एंट्री हुई। पकड़े जाने के बाद कोर्ट ने इन्हें मनोरोगी घोषित कर ब्रोडमोर हॉस्पिटल भेज दिया था। जून ने अपनी एक किताब में खुलासा किया है कि इस दुनिया में उसकी बहन से बड़ा उसका कोई दुश्मन नहीं है, हम दोनों एक-दूसरे की आंखों में चुभने लगे हैं।
1685274206 untitled project (2)
क्या मुझे कभी उससे आजादी मिलेगी। असल में दोनों की बहनें एक दूसरे को मार देना चाहती थीं। दोनों ने एक-दूसरे को मारने की भी कोशिश की थी। हॉस्पिटल में दोनों में से एक बहन एक दिन खाना खाती और दूसरे दिन भूखी रहती थी। दोनों अलग-अलग कमरे में रहती थी लेकिन हमेशा एक ही पॉजिशन में पाई जाती थी। 11 सालों तक ऐसा ही चलता रहा और दोनों ने मान लिया था कि एक की मौत के बाद ही दूसरे की लाइफ में सुधार आ सकता है।
1685274034 ्बि
9 मार्च 1993 के दिन दोनों बहनों को कैसवेल क्लिक भेजा जा रहा था, इस दौरान रास्ते में ही जैनिफर की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी और बाद में उसकी मौत हो गई। जून ने इंटरव्यू में बताया था कि जेनिफर को एक दिन पहले से ठीक नहीं लग रहा था और क्लिनिक जाते समय जैनिफर उसकी गोद में ही सिर रखकर सोई थी। लेकिन उसकी आंखें खुली हुई थीं। मगर जैनिफर का पोस्टमार्टम करवाया गया तो डॉक्टर्स भी हैरान रह गए  थे। दरअसल, जेनिफर के शरीर में ना को ड्रग मिला और न ही कोई जहर। ये एक रहस्यमयी मौत थी। उसके साथ क्या हुआ किसी को आज तक कुछ भी पता नहीं चल पाया है। वहीं, जून आज भी जिंदा है और एक नॉर्मल जिंदगी जी रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

17 − ten =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।