हिंदू धर्म में यूं तो सप्ताह का हर एक दिन भगवान की पूजा करने के लिए शुभ माना जाता है। लेकिन शनिवार के दिन शनिवदेव और हनुमान जी की पूजा का खास महत्व होता है। मान्यता है कि इस विशेष दिन भगवान हनुमान जी की पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न हो जाते हैं और हनुमान भक्तों पर उनकी कृपा सदैव बनी रहती है।
बहुत बार आप हम सभी ने मंदिर में देखा होगा कि हनुमानजी और शनिदेव की प्रतिमाएं एक साथ होती है। ऐसे में मन में सबसे पहले यही सवाल आता है कि शनिदेव और हनुमान जी की प्रतिमाएं एक ही मंदिर में क्यों हैं और शनिदेव और हनुमान जी के बीच के क्या रिश्ते हैं? तो चालिए आज हम आपको शनिदेव और हनुमान जी के रिश्ते के बारे में बताएंगे।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक एक बार हनुमान जी किसी काम में व्यस्त थे और उस समय वहां से शनिमहाराज गुजर रहे थे। वहीं रास्ते में उन्हें हनुमान जी नजर आ गए। तो बस इसके बाद शनिदेव का शरारत सूझी और वो उस काम में विध्न डालने के लिए हनुमान जी के पास चले गए।
इसके बाद हनुमान जी ने उस दौरान अपनी पूंछ से शनिदेव को जकड़ लिया और अपने काम को करने लगे। इतना ही नहीं इस दौरान शनिदेव को बहुत सारी चोटें भी लगी। काम खत्म हो जाने के बाद हनुमानजी को शनिदेव का ख्याल आया और तब उन्होंने शनिदेव को छोड़ दिया।
अर्पित करते हैं सरसों का तेल
इसके बाद शनिदेव ने हनुमान जी से सरसों का तेल मांगा,ताकि वो अपने शरीर में लगी हुई चोटों पर लगा सके और जल्दी से चोटें ठीक हो जाए। इसके बाद हनुमानजी ने उन्हें सरसों का तेल दिया और इस तरह शनिदेव के जख्म जल्दी ही ठीक हो गए। तब से शनिदेव ने कहा कि जो भी भक्त शनिवार के दिन मुझ पर सरसों का तेल चढ़ाएगा उस व्यक्ति पर मेरी विशेष कृपा बनी रहेगी।