करवाचौथ का त्योहार हर साल बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है इस बार यह व्रत 17 अक्टूबर के दिन पड़ रहा है। यह व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती है। करवाचौथ का व्रत कार्तिक हिंदू में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर आता है। करवा चौथ के दिन भगवान गणेश, शिव-पार्वती और कार्तिकेय की पूजा होती है। इस दिन सभी सुहागिन महिलाएं निर्जल व्रत करती हैं और रात के समय चंद्रमा को अध्र्य देकर अपना व्रत तोड़ती हैं।
पौराणिक कथानुसार ऐसा बताया जाता है कि जिस दिन भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग किया गया था उस वक्त उनका सिर सीधे चंद्रलोक चला गया था। आज तक भी ऐसा माना जाता है कि उनका वो सिर चंद्रलोक में है। प्रथम पूज्य गणपति जी की पूजा हमेशा सबसे पहले करी जाती है।
मां पार्वती को अखंड सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त था। इसलिए महिलाएं मां पर्वती की पूजा करके अखंड सौभाग्य का आर्शीवाद मांगने के लिए व्रत रखती हैं वैसे मान्यता अनुसार भगवान शिव के द्वारा चंद्रमा को लंबी आयु का वरदान मिला हुआ है। क्योंकि चांद प्रेम और प्रसिद्घि का प्रतीक होता है यही करण है कि सुहागिन महिलाएं करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा करती है ताकि उनके आशीर्वाद से सभी गुण उनके पति के अंदर आ जाएं।
भगवान राम ने भी चंद्रमा की पूजा के संबंध में लंका पर चढ़ाई करते समय मनोवैज्ञानिक कारण बताए थे कि चांद में जो काली छाया पड़ती है दरअसल वो विष है जो उनके भाई की है। समुद्र मंथन में चांद और विष दोनों निकले थे। चांद ने विष को अपने ह्दय में जगह दी जिस वजह से चांद में दाग नजर आता है।
यह चांद की विशेषता है जिसकी वजह से इनकी पूजा करी जाती है। अगर किसी करणवश पति-पत्नी एक-दूसरे से दूर हो जाते हैं तो चंद्रमा की विष से भरी हुई किरणें उन्हें अधिक दुख देती है। यही वजह है कि करवा चौथ के दिन हर एक सुहागिन महिला चंद्रमा की पूजा करती है ताकि उन्हें अपने से कोई दुख न सहना पड़े।
इन खास गुणों की वजह से पूजा
चंद्रमा के पास रूप,शीतलता एंव प्रेम-प्रसिद्घि है। शिवजी ने चंद्रमा को अपनी जटाओं में धारण किया। उन्हें लंबी आयु का वरदान मिला। ऐसे में महिलाएं चंद्रमा की पूजा करके यह सारे गुण अपने पति में समाहित करने की पूजा करती हैं।
कुंडली में अगर चंद्रमा ठीक जगह पर ना हो तो मानसिक और शारीरिक पीड़ा मिलती है। ऐसे में चंद्रमा की पूजा करने से मानसिक शांति प्रदान होती है साथ ही सेहत अच्छी रहती है।
करवाचौथ के दिन सुहागिन महिलाएं चंद्रमा की पूजा करके अपने पति की सेहत और दीर्घायु का वरदान मांगती हैं। पति-पत्नी में मजबूत संबंध स्थपित करने के लिए इस व्रत का समापन चंद्रमा को अध्र्य देने के साथ होता है।