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नवजात की 3 घंटे बाद हुई मौत, इसके बाद मां ने किया सबसे बड़ा दान

हर किसी औरत के लिए मां बनना कुदरत का एक सबसे खास तोहफा है तो वहीं एक नवजात के लिए मां का दूध सबसे पौष्टिक आहार है।

हर किसी औरत के लिए मां बनना कुदरत का एक सबसे खास तोहफा है तो वहीं एक नवजात के लिए मां का दूध सबसे पौष्टिक  आहार है। मगर उस दर्द को भला कोई कैसे बयान कर पाएगा,जब एक मां को इस बात की पहले से ही खबर हो कि उसका नवजात कुछ ही घंटों का मेहमान है। जी हां मां की गोदी में जन्म के तीन घंटे का वह नवजात शिशु था,मगर कुछ देर बाद ही वह जिंदगी से जंग हार गया। 
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नवजात के साथ हो गई दुर्लभ अनुवांशिक स्थिति
नवजात की मां सिएरा स्टैंगफेल्ड को इस बात के बारे में पहले से ही मालूम था। क्योंकि डॉक्टरों ने उन्हें पहले ही बता दिया था कि उनके होने वाले बच्चे को trisomy 18 है। ऐसी स्थिति को दुर्लभ अनुवांशिक कहा जाता है। जो जन्म के साथ ही बच्चे के लिए भी जानलेवा है। 

ये परेशानी बॉडी में ज्यादा क्रोमोजोम 18 की वजह से होना शुरू होती है साथ ही इसमें शरीर के विकास में देरी होती है। सिएरा ने एक चैनल से बातचीत करते हुए बताया कि डॉक्टरों ने वैसे तो उन्हें बच्चा गिराने की सलाह दी थी। मगर वह अपने नवजात से मिलना चाहती थीं और उसे प्यार करना चाहती थीं। 
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सिएरा ने बताया कि सैमुएल सिर्फ एक बार मेरी गोदी से दूर हुआ जब डॉक्टर उसे ऑक्सीजन ट्यूब लगा रहे थे। उस दौरान मैंने अपने बेटे के साथ 3 घंटे बिताए थे। मैं उसे छू सकती थी,जब मैंने उसे छुआ तो अचानक उसका हार्ट रेट और ऑक्सीजन रेट बढ़ गया। जैसे उसे पता हो कि वह अपनी मां के साथ है। मैंने उन तीन घंटों में अपने बेटे को एकटक देखा। मगर वो 3 घंटे तो ऐसा लगा कि मिनटों में बीत गए हों।
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उन तीन घंटों में लिया फैसला
सिएरा ने उन तीन घंटों में एक निर्णय लिया कि वह अपना दूध दान कर देंगी। वो चाहती थीं कि उनका ब्रेस्ट मिल्क उन बच्चों के काम आए जिन्हें इसकी जरूरत है। सिएरा ने बताया कि मेरा अपने बच्चे के जीवन और उसकी मौत पर नियंत्रण नहीं है। मगर मैंने उसके बाद जो किया वो मेरे हक में था। सिएरा ने बताया कि जब मुझे मालूम हुआ कि मैं दोबारा प्रेग्नेंट हुई हूं तब मुझे बस यह चाहिए था कि मैं ब्रेस्टफीडिंग करा संकू। मगर जब मुझे सैमुअल की रिपोर्ट मिली तब मुझे पता चल गया था कि यह नहीं होने वाला है। 

बच सकती है दूसरे बच्चों की जान
सिएरा अमेरिका में रहती हैं। उनका कहना है कि उनके ब्रेस्ट दूध से दूसरे नवजात बच्चों की जिंदगी बचाई जा सकती है। इतना ही नहीं सिएरा ने 63 दिन लगाकर पम्प के जरिए अपना बेस्ट मिल्क इक्ट्ठा किया। इसके साथ ही उन्होंने मदर्स मिल्क बैंक को करीब 15 लीटर दूध दिया है। 
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अपने इस अनुभव को सिएरा ने फेसबुक पर भी शेयर किया। सिएरा इस पर लिखती हैं पम्पिंग मुश्किल है। इसके लिए शारीरिक और मानसिक दोनों रूप चाहिए। लेकिन यह उस कड़ी में सबसे ज्यादा मुश्किल हो जाता है जब आपका बच्चा ही आपके पास न हो। 

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