बुधवार 8 तारीख से ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच सबसे सम्मानित और बड़ी टेस्ट सीरीज एशेज की शुरुआत होने वाले वाली है इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच ये सीरीज काफी सालों से खेली जा रही है दोनों के बीच सबसे पहले 1877 में ये सीरीज खेली गयी थी। लेकिन क्या आप जानते हैं की इस सीरीज का नाम एशेज कैसे पड़ा? अगर नहीं तो चलिए हम आपको बताते हैं।
एशेज को उसका नाम एक न्यू पेपर की हैडलाइन से मिला था, बात 139 साल पुरानी है इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच साल 1882 में लंदन के केनिंग्टन ओवल ग्राउंड पर टेस्ट मैच खेला गया। जिसमें मेहमान ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को सात रन से मात दे दी। इंग्लिश सरजमीं पर कंगारुओं की ये पहली जीत थी।
इस हार के बाद एक ब्रिटिश अखबर स्पोर्टिंग टाइम्स के पत्रकार शर्ली ब्रूक्स ने इस खबर को कुछ इस तरह से हेडिंग दी, ‘शोक समाचार, इंग्लिश क्रिकेट को याद करते हुए इतना ही कहना चाहूंगा कि 29 अगस्त 1882 को ओवल ग्राउंड में इसकी मौत हो गई है। इसे चाहने वाले दुख में हैं। इंग्लिश क्रिकेट मर गया, उसके अंतिम संस्कार के बाद ऐश (राख) ऑस्ट्रेलिया भेज दी जाएगी।’ इस न्यूज़ की हैडलाइन से निकला था टेस्ट क्रिकेट की सबसे बड़ी जंग एशेज का नाम।
इसके बाद इसी साल इंग्लैंड की टीम इवो ब्लीग की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गयी जहाँ उसने 3 मैचों की टेस्ट सीरीज 2-1 से अपने नाम की। इंग्लैंड की इस सीरीज जीत को ऑस्ट्रेलिया से ऐश यानि राख वापस लाना कहा गया। फिर यहीं से दोनों देशों के बीच की टेस्ट सीरीज को एशेज कहा जाने लगा।
इवो ब्लीग जिनकी कप्तानी में इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया में बदला लिया था उन्हें ऑस्ट्रेलिया को हारने के बाद एक छोटा कलश तोहफे के रूप में मिला। जब 43 सालों के बाद इवो ब्लीग अपनी अंतिम सांसे ले रहे थे उन्होंने ये कलश मेरिलबोन क्रिकेट क्लब को देने की बात कही और उनकी पत्नी ने ऐसा ही किया। इसी कलश को एशेज ट्रॉफी का दर्ज़ा दिया गया है और ये आज भी मेरिलबोन क्रिकेट क्लब यानि MCC के म्यूजियम में रखा गया है। जब भी दोनों देशो के बीच सीरीज खेली जाती है तो इसी कलश की एक कॉपी को ट्रॉफी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।