नई दिल्ली : भारतीय ओलंपिक संघ का अगला अध्यक्ष कौन होगा, यह सवाल अब उत्सुकता में बदल गया है। यह पूछा जाने लगा है की क्या अनिल खन्ना सचमुच डाक्टर नरेंद्र बत्रा को टक्कर देने के लिूए मैदान में उतरे हैं या यह सब मिलीभगत है। कुछ दिन पहले तक खुद डाक्टर बत्रा दावेदारी से बाहर थे। उन्होने बाक़ायदा एक पत्र लिख कर ऐसा संकेत दिया था। लेकिन यकायक बत्रा, अनिल खन्ना और वेटलिफ्टिंग फेडरेशन के अध्यक्ष बीरेंद्र वैश्य मैदान में कूद पड़े। अब वैश्य ने नाम वापस ले लिया है।
सूत्रों की माने तो नरेंद्र बत्रा को निर्विरोध चुन लिए गये महासचिव राजीव मेहता के अलावा उन लोगों का भी समर्थन प्राप्त है जोकि आईओए में बाहर से बड़ा दखल रखते हैं और किंग मेकर माने जाते हैं। इनमे ललित भनोट, अभय चौटाला और राजा रणधीर सिंह जैसे नाम भी शामिल हैं। डाक्टर बत्रा को लेकर आम राय यह है कि उन्हें अपेक्षाकृत साफ सुथरी छवि वाला प्रशासक माना जाता है। अपने अच्छे चाल चलन के कारण ही वह केपीएस गिल जैसे दिग्गज को दरकिनार कर हॉकी इंडिया के सचिव और अध्यक्ष बने और अंततः अंतरराष्ट्रीय हॉकी फेडरेशन के अध्यक्ष बने हैं। यह सम्मान पाने वाले वह अकेले भारतीय हैं। उनके प्रयासों से ही भारतीय हॉकी की तस्वीर बदली है।
हॉकी इंडिया लीग और कई अन्य आयोजन भी उनके रहते संभव हो पाए। आज तमाम देश भारत आने और भारत मे खेलने के लिए उत्सुक रहते हैं। वर्ल्ड कप और वर्ल्ड हॉकी लीग का आयोजन भी भारतीय भूमि पर उनके कारण संभव हो पाए। समर्थकों का मानना है कि डाक्टर बत्रा यदि भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष चुने जाते हैं तो हॉकी सहित तमाम खेलों के उत्थान को बल मिलेगा। यह भी सच है की आईओए का एक बड़ा धड़ा उन्हें समर्थन दे रहा है। यदि उनके समर्थन में बाकी नाम खुद ब खुद मिट जाएं तो हैरानी नहीं होगी।
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