भारतीय फुटबॉल प्रशंसकों को बड़ा झटका लगा है। दुनिया में फुटबॉल की सर्वोच्च संचालन संस्था फीफा ने एआईएफएफ को निलंबित कर दिया है। फीफा ने तीसरे पक्ष द्वारा गैर जरूरी दखल का हवाला देकर अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) को मंगलवार को निलंबित कर दिया और उससे अक्टूबर में होने वाले अंडर-17 महिला विश्व कप के मेजबानी अधिकार छीन लिए।
85 साल के इतिहास में पहली बार
यह पिछले 85 साल के इतिहास में पहला अवसर है जब फीफा ने एआईएफएफ पर प्रतिबंध लगाया। फीफा ने कहा है कि निलंबन तुरंत प्रभाव से लागू होगा । फीफा ने एक बयान में कहा ,‘‘फीफा परिषद के ब्यूरो ने सर्वसम्मति से अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) को तीसरे पक्ष के अनुचित प्रभाव के कारण तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का फैसला किया है। तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप फीफा के नियमों का गंभीर उल्लंघन है।’’
बयान में आगे कहा गया है, ‘‘निलंबन तभी हटेगा जब एआईएफएफ कार्यकारी समिति की जगह प्रशासकों की समिति के गठन का फैसला वापिस लिया जायेगा और एआईएफएफ प्रशासन को महासंघ के रोजमर्रा के काम का पूरा नियंत्रण दिया जायेगा ।’’
एआईएफएफ के संचालन में कठिनाई
उच्चतम न्यायालय ने दिसंबर 2020 से चुनाव नहीं करवाने के कारण 18 मई को प्रफुल्ल पटेल को एआईएफएफ के अध्यक्ष पद से हटा दिया था और एआईएफएफ के संचालन के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ए आर दवे की अध्यक्षता में तीन सदस्य प्रशासकों की समिति (सीओए) का गठन किया था। सीओए को राष्ट्रीय खेल संहिता और दिशा निर्देशों के अनुसार एआईएफएफ के संविधान को तैयार करने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी।
अंडर-17 महिला विश्व कप की मेजबानी पर खतरा
फीफा ने हालांकि कहा कि उसने भारत के लिए सभी विकल्प बंद नहीं किए हैं और वह खेल मंत्रालय के साथ बातचीत कर रहा है और उसे महिला जूनियर विश्व कप को लेकर सकारात्मक परिणाम की उम्मीद है। फीफा ने कहा ,‘‘ इसके मायने हैं कि अंडर-17 महिला विश्व कप पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार भारत में नहीं हो सकता । फीफा भारत के खेल मंत्रालय से लगातार संपर्क में है और सकारात्मक नतीजे तक पहुंचने की उम्मीद है ।’’
पहले भी मिल चुकी थी चेतावनी
फीफा ने पांच अगस्त को एआईएफएफ को निलंबित करने और महिला अंडर-17 विश्व कप की मेजबानी छीनने की धमकी दी थी। इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने तीन अगस्त को एआईएफएफ की कार्यकारी समिति को सीओए द्वारा प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार चुनाव कराने के निर्देश दिए थे। चुनाव 28 अगस्त को होंगे तथा चुनाव प्रक्रिया 13 अगस्त से शुरू हो चुकी है। शीर्ष अदालत ने सीओए द्वारा तैयार की गई समय सीमा को मंजूर कर लिया था।