नई दिल्ली : दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के लोकपाल बदर दुरेज अहमद ने शुक्रवार को रजत शर्मा का डीडीसीए अध्यक्ष पद से इस्तीफा मंजूर कर लिया। उन्होंने लगभग दो सप्ताह तक इसे स्वीकार नहीं किया था। रजत शर्मा ने संगठन के अंदर काफी खींचतान और दबाव का हवाला देकर 16 नवंबर को त्यागपत्र दे दिया था। अहमद ने इसके एक दिन बाद उनके त्यागपत्र पर रोक लगा दी थी लेकिन रजत शर्मा के फिर से आग्रह करने पर उन्होंने आखिर में इसे स्वीकार कर लिया।
रजत शर्मा ने कहा कि मैंने सुबह उन्हें पत्र लिख जिम्मेदारियों से मुक्त करने का आग्रह किया था। अहमद को भेजे गए अपने पत्र में रजत शर्मा ने लिखा है कि वह ऐसे संगठन में नहीं बने रह सकते हैं जहां अराजकता की स्थिति हो। उन्होंने कहा कि 16 नवंबर को डीडीसीए अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया था और उसका कारण मैंने अपने पत्र में बताया है। हालांकि लोकपाल के निर्देशों का सम्मान करते हुए वह पद पर बने रहे और जिसे बाद में हाईकोर्ट ने भी दोहराया।
वह कहते हैं कि डीडीसीए में स्थिति पूरी तरह से अराजक है और ऐसे में उनके लिए अध्यक्ष पद पर बने रहना असंभव है। उन्होंने पत्र के माध्यम से लोकपाल को कहा कि उनका उन लोगों के साथ काम करना असंभव है जो लोकपाल, हाईकोर्ट व संविधान का सम्मान नहीं करते। शर्मा का लगभग 20 महीने का कार्यकाल उतार-चढ़ाव से भरा रहा। इस बीच महासचिव विनोद तिहारा के साथ उनके मतभेद सार्वजनिक रूप से सामने आए। तिहारा ने शर्मा गुट से ही डीडीसीए का चुनाव जीता था।
लेकिन कुछ सप्ताह बाद ही उनके क्रिकेट और प्रशासनिक गतिविधियों से जुड़े मसलों पर अध्यक्ष के साथ मतभेद पैदा हो गए। इसमें तिहारा पर प्रोटोकाल का अनुसरण किए बिना भर्तियों पर नियंत्रण करने का आरोप भी शामिल है। तिहारा को अनुशासनात्मक मामले में निलंबित कर दिया था जिसे उन्होंने अदालत में चुनौती दी थी। बता दें कि शर्मा के 16 नवंबर के त्यागपत्र के कुछ घंटो बाद ही सीईओ रवि चोपड़ा ने भी इस्तीफा दे दिया था।
क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) के दो सदस्यों सुनील वाल्सन और यशपाल शर्मा ने भी अपना पद छोड़ दिया था। इसके एक दिन बाद अहमद ने रजत शर्मा को पद पर बने रहने का आदेश दिया था और निलंबित महासचिव तिहारा की बहाली पर रोक लगा दी थी। लोकपाल अहमद ने कहा कि स्पष्ट है कि रजत शर्मा डीडीसीए अध्यक्ष पर बने रहने के इच्छुक नहीं हैं।