नई दिल्ली : अफगानिस्तान के विरुद्ध भले ही भारतीय टीम ने जीत दर्ज की और पूरे अंक अर्जित किये लेकिन जीत के रथ पर सवार कोहली की टीम की कुछ खामियां भी सामने आ गई थीं। भारत ने जिस प्रकार आखरी ओवर में जीत के साथ चैन की सांस ली, उसे देखते हुए यह तो साफ हो गया था कि टीम इंडिया अजेय नहीं है और इंग्लैंड ने यह साबित कर दिखाया। उसे जीत चाहिए थी और भारत के लिए सबक ज़रूरी था।
इंग्लैंड के हाथों हुई हार पर ज्यादा माथा पच्ची की जरूरत नहीं है। जो हुआ अच्छा हुआ। ऐसा इसलिए भी जरूरी था क्योंकि भारतीय खिलाड़ियों को अपनी खामियों पर नजर डालने और खुद का आकलन करने का मौका सही समय पर मिल गया है। इस जीत से मेजबान को राहत मिली है तो भारत के लिए छुटपुट कमजोरियों को सुधारने और आत्म मंथन का वक्त है। इंग्लैंड को हर हाल में जीत की दरकार थी वरना एक और पराजय बाहर का रास्ता दिखा सकती थी। बेशक, जैसी जरूरत थी दोनों टीमें उसी अंदाज में खेलीं।
मेजबान ने आखरी गेंद तक गंभीरता दिखाई तो भारतीय खिलाड़ियों को एक एक विकेट और रन के लिए जूझना पड़ा। खासकर, स्पिनर अपनी ख्याति के अनुरूप नहीं खेले तो एक-दो को छोड़ बाकी बल्लेबाजों का लचर रवैया समझ नहीं आया। फिर भी जानकार और एक्सपर्ट कह रहे हैं कि सेमीफाइनल से पहले लगा झटका कोहली की टीम को होश में आने और अत्यधिक आत्मविश्वास से जगाने में मदद करेगा।
भारतीय खिलाड़ियों और टीम प्रबंधन को फिर से रणनीति बनाने और हल्की-फुल्की खामियों को दूर करने में यह हार सबक का काम करेगी। देखना यह होगा कि हमारे खिलाड़ी कहाँ तक सीखते हैं क्योंकि आगे का रास्ता आसान नहीं होने वाला। कुल मिलाकर इंग्लैंड से मिली हार कई मायनों मे भारतीय टीम को सिखा कर गई है। यह भी सही है कि कोहली की टीम का आत्मविश्वास डोला है।
(राजेंद्र सजवान)