हरभजन सिंह ने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास ले लिया है। यानी वो अब ना तो घरेलू क्रिकेट खेलेंगे, ना ही इंटरनेशनल और ना ही कोई लीग। उन्होंने सबको अलविदा कह दिया है हरभजन का इंटरनेशनल करियर पूरे 23 साल का रहा। इस सफर में हरभजन ने कामयाबियों की कई ऊचाईयां छुई। लेकिन हम यहां पर बात कर रहे हैं हरभजन की विवाद की उस विवाद की जिसने पूरी टीम इंडिया को एक साथ खड़ा कर दिया।
टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गयी थी और सिडनी में खेले जा रहे टेस्ट का तीसरा दिन था। नाजुक हालातों में फँसे मैच में हरभजन सिंह बल्लेबाज़ी कर रहे थे। इस दौरान एंड्रयू सायमंड्स लगातार बड़ा शॉट खेलने के लिए भज्जी को उकसा रहे थे। जब भज्जी के बर्दाश्त करने की हद हो गई तो उन्होंने सायमंड्स को पलटकर जवाब दे दिया, जो ऑस्ट्रेलियाई कप्तान पॉन्टिंग को नागवार गुजरा। ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ने रेफरी से इसकी शिकायत कर दी। पर ये शिकायत रेसिज्म नहीं बल्कि नस्लीय टिप्पणी को लेकर लगाई गई। पॉन्टिंग ने कहा कि भज्जी ने सायमंड्स को मंकी यानि बंदर कहा है। ICC के नियम के मुताबिक नस्लीय टिप्पणी को लेवल 3 का अपराध माना जाता है। तीसरे दिन खेल खत्म होने के बाद मामले की सुनवाई हुई जिसमे हरभजन को दोषी पाया गया और उनपर तीन मैच का बैन लगा दिया गया।
लेकिन भारतीय खिलाड़ी इस फैसले के विरोध में एकजुट हो गए। भारतीय खिलाड़ियों ने साफ किया कि, अगर भज्जी पर से नस्लभेदी टिप्पणी के आरोप वापस नहीं लिए गए, तो वो दौरा रद्द करके वापस लौट जाएंगे। इस पूरे मामले में विवाद बढ़ता देख, आईसीसी ने इसकी सुनवाई न्यूज़ीलैंड के जज जॉन हैन्सन को सौंप दी. जज जॉन हैन्सन ने मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद अपना फैसला सुनाया और कहा भज्जी पर लगे सभी आरोप बेबुनियाद हैं। इस तरह से भज्जी आरोपों से बरी हो गए।