नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 15 साल पहले पदार्पण करने के बाद टीम से लगातार अंदर-बाहर होने वाले विकेटकीपर बल्लेबाज दिनेश कार्तिक के खेल की चर्चा होती रहती है और ऐसे में वह खुद को टीम के लिए ‘प्रासंगिक’ मानते हैं। विश्व कप के लिए भारतीय टीम का चयन 15 अप्रैल को हुआ और प्रतिभाशाली ऋषभ पंत की जगह 33 साल के दिनेश कार्तिक को जगह देने पर सवाल उठा था।
मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद ने विकेट के पीछ कार्तिक को बेहतर बताते हुए इस चर्चा को यह कहते हुए विराम देने की कोशिश की। कार्तिक ने इंग्लैंड रवाना होने से पहले कहा, ‘अगर परिवार और दोस्तों की दुआएं मेरे साथ नहीं होती तो मैं अभी तक खेल नहीं पाता। अच्छा या बुरा, अगर लोग आपके बारे में बात कर रहे हैं तो इसका मतलब यह है कि आप प्रासंगिक बने हुए हैं। यह देखना काफी सुकून देता है कि मैं इतने वर्षों के बाद भी प्रासंगिक बना हुआ हूं और टीम का हिस्सा होने के लिए अब भी मेहनत कर रहा हूं।’
कार्तिक ने महेन्द्र सिंह धोनी से पहले पदार्पण किया था और अगर धोनी भारतीय टीम में नहीं आते तो कार्तिक ने करियर में 26 टेस्ट और 91 एकदिवसीय से कहीं ज्यादा मैच खेले होते। कार्तिक को यह मानने में कोई हिचक नहीं है कि वह एक विशेष खिलाड़ी के कारण टीम से बाहर हुए।
विकेट के पीछे धोनी के करीब पहुंचने में नाकाम रहे कार्तिक ने बल्लेबाजी पर ज्यादा ध्यान देना शुरू किया और 2017 में हुई चैम्पियन्स ट्राफी के बाद से टीम में जगह बनाये रखने में सफल हुए। श्रीलंका में निदहास ट्राफी के फाइनल में आखिरी गेंद पर जब उन्होंने छक्का मार कर जीत दिलायी तब लगा कि टीम प्रबंधन की फिनिशर की खोज पूरी हुई।